Book Title: Dandak Ek Adhyayan
Author(s): Nitabai Swami
Publisher: Mansukhbhai J Madani

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Page 626
________________ १. २. 3. ४. 4. ६. ७. સંદર્ભ ગ્રંથ સૂચિ अभिधान राजेन्द्र कोष -प्रथम भाग (द्वितीय संस्करण), ले. श्रीमद् विजयराजेन्द्र सूरीश्वर प्र. श्री अभिधान राजेन्द्र कोष प्रकाशन संस्था. अहमदाबाद, ई. स. १९८६. अभिधान राजेन्द्र कोष द्वितीय भाग (द्वितीय संस्करण), ले. श्रीमद् विजयराजेन्द्र सूरीश्वर प्र. श्री अभिधान राजेन्द्र कोष प्रकाशन संस्था. अहमदाबाद, ई. स. १९८६. अभिधान राजेन्द्र कोष तृतीय भाग (द्वितीय संस्करण), ले. श्रीमद् विजयराजेन्द्र सूरीश्वर प्र. श्री अभिधान राजेन्द्र कोष प्रकाशन संस्था. अहमदाबाद, ई. स. १९८६. अभिधान राजेन्द्र कोष चतुर्थ भाग (द्वितीय संस्करण), ले. श्रीमद् विजयराजेन्द्र सूरीश्वर प्र. श्री अभिधान राजेन्द्र कोष प्रकाशन संस्था. अहमदाबाद, ई. स. १९८६. अभिधान राजेन्द्र कोष पंचमो भाग (द्वितीय संस्करण), ले. श्रीमद् विजयराजेन्द्र सूरीश्वर प्र. श्री अभिधान राजेन्द्र कोष प्रकाशन संस्था. अहमदाबाद, ई. स. १९८६. अभिधान राजेन्द्र कोष षष्टमो भाग (द्वितीय संस्करण), ले. श्रीमद् विजयराजेन्द्र सूरीश्वर प्र. श्री अभिधान राजेन्द्र कोष प्रकाशन संस्था. अहमदाबाद, ई. स. १९८६. अभिधान राजेन्द्र कोष सप्तमो भाग (द्वितीय संस्करण), ले. श्रीमद् विजयराजेन्द्र सूरीश्वर प्र. श्री अभिधान राजेन्द्र कोष प्रकाशन संस्था. अहमदाबाद, ई. स. १९८६. ८. अनुतत्तरोववार्धस सूत्र (संस्कृत-हिन्दी-गुभराती मां अनुवाद), नि. पं. मुनीश्री घासीसासक म.सा., प्र. श्री जलाश्वेता.स्था छैन शास्त्रोद्वार समिति, राभट (सौराष्ट्र). ८. अनुयोगद्वार सूत्र (संस्कृत-हिन्दी-गुभराती मां अनुवाद), नि. पं. मुनीश्री घासीलालक म.सा., अ. श्री अ.भा.श्वेता.स्था. मैन शास्त्रोद्वार समिति, रा४ओभेट (सौराष्ट्र ), ६.स १८६७. १०. भायारांग सूत्र से मुनिराश श्री भाोभुनिक, प्र. श्रीमान मोहनसासक थे. ज्ञानभंडार, गोपीपरा, सुरत, वि.सं २४४८. ११. श्री आयारांग सूत्र (हिन्दी-गुभराती भाषानुवाद सहित भाग १, २, ३, ४ ), नि. पं. भुनी श्री घासीदास महाराष्ट्र, अ. श्री सला. वे.स्था छैन शास्त्रोद्वार समिति, रा४भेट (सौराष्ट्र ), ६.स. १८५७. १२. आभामंडल (गुभराती अनुवाद), से युवाचार्य महाप्रज्ञ, प्र. अनेअन्त भारती प्राशन, या डो. सर्वपल्ली राधाकृष्ठान् मार्ग, अमहावाह - १५, इ.स. १८८२ १३. आवश्यक सूत्र (संस्कृत-हिन्दी-गुभराती मां अनुवाद), नि. पं. मुनीश्री घासीसासक म.सा., प्र. श्री 433

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