Book Title: Chovis Bhagwan Ki Pujaye Evam Anya Pujaye
Author(s): ZZZ Unknown
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
सुथान पयान कियो फिर इंद, इहाँ सुर सेव करें जिनचंद।।5। कियौ चिरकाल सुखाश्रित राज, प्रजा सब आनंद को तित साज सुलिप्त सुभोगिनि में लखि जोग, कियो हरि ने यह उत्तम योग ॥6॥ निलंजन-नाच रच्यो तुम पास, नवों रस- पूरित भाव-विलास। जैमिरदंग दृमा दृम जोर, चले पग झारि झनांझन जोर ॥7॥
घनाघन घंट करे धुनि मिष्ट, बजैं मुहचंग सुरान्वित पुष्ट। खड़ी छिन पास छिनहि आकाश, लघु छिन दीरघ आदि विलास॥8॥ ततच्छन ताहि विलै अविलोय, भये भवतैं भवभीत बहो । सुभावत भावन बारह भाय, तहाँ दिव-ब्रह्म- रिषीश्वर आय॥9॥ भू-धाम, तबे हरि आय रचि शिवकाम। कियो कचलौंच प्रयाग-अरण्य, चतुर्थम ज्ञान लह्यो जग-धन्य।।10।। धर्या तब योग छमास-प्रमान दियो श्रेयांस तिन्हें इखु-दान । भयो जब केवलज्ञान जिनेन्द्र, समोसृत-ठाठ रच्यो सु धनेंद्र ॥ 11 ॥ तहाँ वृष-तत्त्व प्रकाशि अशेष, कियो फिर निर्भय-थान प्रवेश। अनंत-गुनातम श्री सुखाराश, तुमैं नित भव्य नमें शिव - आश।।12।। (छन्द घत्तानंद)
यह अरज हमारी सुन त्रिपुरारी, जन्म- जरा - मृतु दूर करो। शिव-संपति दीजे ढील न कीजे, निज, लख लीजे कृपा धरों ॥ 13 ॥ ॐ श्री आदिनाथजिनेन्द्राय पूर्णार्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।
(छन्द आर्या)
जो ऋषभेश्वर पूजे, मन-वच-तन भाव शुद्ध कर प्रानी | सो पावै निश्चैसों, मुक्ति औं मुक्ति सार सुख थानी।।14।
॥ इत्याशीर्वादः पुष्पांजलि क्षिपामि ॥
11

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 798