Book Title: Chotrish Atishay Varnan Garbhit Simandhar Jin Stavan Author(s): Mahabodhivijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 8
________________ जान्युआरी-2007 53 सरसति लिखइ संदेसडां, तुम्ह मिलवा अम्ह मनि एवडां, लिखतां पार न (पा)मीइ ए / जु हु तमाहरइ पाखडी, तुम्ह दरिशन जोअत एणी आंखडी, ए आंखडी सफल करत हु माहरी ए 138 / / हिवइ दि दरिशन जिन ताहरूं, यम गमि रहइ मन माहीं, मन माहरु चरण तुम्हारे थिर रहियु ए / बीय चंदा तुम्हे सुणयु ए, वंदन माहरी कहियु ए, कहियु ए सेवकनइ हिवइ तारयु ए // 39 / / (कलश) ईन्दु-षट्-रस-लेशा कही, ए संवछर संख्या कही संख्या कही फागुण सुदि एकादशी ए / ए तवन कीउ हर्षि करी, श्री गुरु चरण हीइ धरी, मनि धरी भगतिराग श्रीमंधिर तणुए // 40 // तपगछनायक सुखदायक, श्री विजयदानसूरीश्वर, उवझाय मुनिवर हर्षसागर, तासु गच्छि दिनकरु / / तप्त सीस कहइ, जिनवदन ताहरु कमलसागर सोहइ ए तुम्ह चरणि मुझ पनि, अतिहि लीणु युं भमर मालती मोहइ ए ||41 / / इति चोत्रीश अतिशयस्तवनं संपूर्ण / / | समाप्त / Co. किरीट ग्राफिक्स रतनपोळ, अमदावाद-१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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