Book Title: Chikitsa Kalika
Author(s): Narendranath Mtra
Publisher: Mitra Ayurvedic Pharmacy

View full book text
Previous | Next

Page 271
________________ अशुद्धपाठाः .. १५० १५० १५८ मत्यः स्यविरदारुकं प्रमाणाम प्रयोजितं प्रेमह द्वासप्तत्याधकानि डाल बहेड़े नागकसेराम् व्याघ्री डलाजा सपरिमाण योगद्वम० तिन्तडीक . प्रतिहता मुन्मदिनां गुटिकाकाह . अमलकी वातसूक् इमजइमेति कुष्ठषु 1111.Mu :: :: :: :: :: :: : :: :: :: :: :: : १७५ पृष्ठांकाः पंक्तयंकाः शुद्धपाठाः १४६ ... २७ ... मर्त्यः ... स्थविरदारुकं . ... प्रमाणमि ... १५६ ... १६ ... प्रयोजितः ... २ ... प्रमेह द्वासप्तत्यधिकानि ... डाल मुख बन्द कर बहेड़े ... नागकेसराणाम् ... ६ ... व्याघ्री ... २४ ... लाजा ... समपरिमाण ... १७ ... योगद्वयम १७४ तिन्तिडीक ... प्रतिहतो. १८२ ... मुन्मादिनां ... गुटिकामाह . १८७ १८ ... आमलकी ... वातासृक् १९१ श्मजस्येति ... कुष्टिषु २०२ ... द्वौ ... कारणेन २०६ पित्तश्लेष्म पचेत्तैलं .... तैलं २१३ ... गण्डूषक ... १३ ... तुम्बै ... १८ ... बस्तिः ... २२२ ... २७ ... मन्यन्ते। ... २२४ ... १८ ... स्त्वग्निमान्य २२७ भीरुजेन ... पराशरादिभिः तन्मांसं २०२ कारण पित्ताश्लेष्म पचे तेल :: :: :: :: :: :: :: :: :: :: २१० : :: :: :: :: :: :: :: :: : २११ २१८ રરર गण्डूक० तुम्बे बस्ती मन्यते स्त्वग्निमान्द भीरुजन परादिभिः तन्मासं २३२ २३४

Loading...

Page Navigation
1 ... 269 270 271 272 273 274