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चन्द्रराजचरित्रम
प्रस्तावना
प्रस्तावना
प्रिय सज्जनवृन्द! स्वर्गीय पूज्यपाद साहित्यविशारदविद्याभूषण-आचार्यदेव श्रीमद्विजयभूपेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज विरचित संस्कृत गद्यमय श्रीचन्द्रराजचरित्र ८ वाँ पुष्प प्रकाशित किया जा रहा है | यों तो श्रीचंद्रराजचरित्र के संस्कृत पद्यमय, गद्यमय, तथा हिन्दी, गुजराती भाषात्मक कवितारूप रास में संस्करण निकले हुए हैं, तथापि आचार्यदेव ने पण्डित-काशीनाथ जैन-संकलित हिन्दी चरित्र के आधार से इस ग्रंथ को सरल एवं मधुर संस्कृत गद्यमय में रचकर सर्वजनलाभार्थ परिश्रम उठाया है । जगह-जगह पर प्रासंगिक श्लोकों को रखकर ग्रन्थ की महत्ता और भी बढ़ा दी है । प्रस्तुत चरित्र २८ परिच्छेदों में विभाजित किया है जो कि सम्पूर्ण २० फार्म में २२४३० साइज के १२ पेजी पत्राकार में निकल रहा है । स्वर्गस्थ आचार्यदेव के रचित ग्रंथ प्रकाशनार्थ आहोर (मारवाड़) में सं. १६६५ में चैत्र वदि २ को वर्तमानाचार्य पू.पा. व्या.वा. आचार्यदेव श्रीमद्विजय-यतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज आदि मुनिमण्डल ने एकत्रित हो 'श्रीभूपेन्द्रसूरि-जैन साहित्य प्रकाशक समिति' नामक संस्था स्थापित की, और आचार्य महाराज रचित ग्रंथों का संशोधन एवं प्रकाशनकार्य पू.पा. उपाध्यायजी श्रीमान्
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