Book Title: Chahe to Par Karo
Author(s): Vairagyarativijay
Publisher: Pravachan Prakashan Puna

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Page 6
________________ लोगविरुद्धच्चाओ शिष्ट लोक में निन्दित कर्म कभी न करूं। हृदयमन्दिर में से निकाल देना चाहता है। लेकिन मुझे ये मंजूर नहीं है। हे प्रभु ! जब जब संसार मुझे आपसे दूर करें तब तब आप मुझे नजदीक ले लेना । जब जब संसार मुझे अपनी सुध-बुध भूला दें, आप मुझे जगा देना। आपसे दूर ले जानेवाले ऐसे सुखों के बदले में आपके समीप लाएँ ऐसी सद्बुद्धि को में प्रथम पसन्द करूँगा। आपकी याद भूला दें ऐसी दुर्बुद्धि के बदले में आपकी याद निशदिन सतावे ऐसे दु:खों को मैं सन्मानूँगा। यदि आप मुझे मिलते हैं तो जगत के तमाम दुःख मेरे लिए इष्ट है। आप नहीं मिलते हैं तो सारे विश्व का राजसुख भी मेरे मन अनिष्ट है। आपकी प्राप्ति ही मेरे लिए एक इष्टफल है। आप ही मेरा इष्ट । आप ही मेरा फल । आप ही मेरी सिद्धि। काँटा, चाहे छोटा हो या बड़ा, लेकिन जब पैर में चुभता है तो दर्द होता ही है। दोष, छोटा हो या बड़ा, जब अन्तर में प्रवेश करता है तो डंख देता ही है। पैर में चुभा हुआ छोटा-सा काँटा भी चलने नहीं देता । उसी तरह अन्तर में घुसा हुआ छोटा-सा दोष भी शुभ प्रवृत्ति नहीं करने देता । हे परमात्मा ! अच्छे लोग जिसे बुरा कहते हैं, वैसे बड़े बड़े दोष भले ही मेरे जीवन में भले ही न हो, लेकिन छोटे-छोटे दोष तो बहुत सारे है। ब्लेड छोटी होती है और तलवार बड़ी होती है। फिर भी मारने का गुण दोनों में समान है। तलवार एक ही झटके में गला उड़ा देती है, तो ब्लेड नसों को काटकर मारती है। दोनों की शक्ति और सामर्थ्य में भले ही अन्तर हो, बल्कि नतीजा तो समान होता है। हे प्रभु ! जैनकुल में जन्म मिलने के कारण और धर्मसंस्कार से सुवासित माता-पिता मिलने पर मैं तलवार की तरह शुभभावों को नाश करनेवाले दोषों से तो बच गया हूँ। लेकिन ब्लेड की तरह छोटे-छोटे टुकडे करनेवाले लघु दोषों से अपने आपको कैसे बचा सकै? हे प्रभु! मैं किसी का अपमान करते हिचकिचाता नहीं हूँ। बिना कारण अन्य की टीका करने में मुझे बहुत आनन्द मिलता है। उतना ही आनन्द मुझे दूसरों की टीका सुनने में भी आता है। कोई मेरे दोष दिखायें या सुनाएँ तो मुझे बहुत गुस्सा आता है। मैं हमेशा अपने दोष को छुपाने में निपुण रहा हूँ। मैं अपने आपको 'सुप्रीम' समजता हूँ। मेरे स्वार्थ के लिए अन्य का नुक्सान करने में मुझे बिलकुल संकोच नहीं होता । मेरी ये आँखे अमर्याद और बेफाम है। झूठ बोलना मेरे लिए बिलकुल आसान है। थोडी सी धनप्राप्ति के लिए मैं बेईमानी और अनीति के पथ पर चलने के लिए तैयार हूँ। अन्य लोगों की प्रगति मेरे लिए असह्य है। मुझ में इतना क्रोध है कि लोग मुझे टाईमबोम्ब की उपमा देते है। राजनीतिज्ञ की तरह छलकपट में मैं माहिर हूँ। चूहे की तरह मेरे मन के शुभाशयों को फूंक-फॅक कर कतरनेवाले इस कातिल दोषों से बचने का मुझे एक ही उपाय दिखाई देता है, और

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