Book Title: Chahdhala 2
Author(s): Daulatram Kasliwal
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 169
________________ निवेदन है भव्य आनाओं। अत्यन्त हर्ष का विषय है कि हमानी धर्म नगरी बड़ौत का बड़ा भारी गुट का उच्य आया है दिम जैन नगरी में परम पुस प्रातः कारणीय आध्यात्म शिरोमणी, समाधी सम्राट, नासपवासी, परम नसावी, बयोवृद्ध धर्म रत्नाकर, योगीराज, दिगम्बर जैनाचार्य थो 108 सुमति सागर जी महाराज जी का विशाल राब नहिल आगमन हुआ है। इस सत्र में 5 दिगम्बर मुनिराज, 10 आयिका मानाजी, 1 एक्लन शुल्लक तथा | झुल्लिका इस प्रकार 21 पिच्छिमा यहां विराजमान है। __ संघ के आगमन से बड़ौत में भारी धर्म प्रभाबना हो रही है मंत्र के गर न मुदिर जा, आखिका मानानी, पर मपन्त माय साध्वी, बड़े ज्ञानी, ध्वानी एवं गुयोग्य विद्धान है। पूज्य आचार्य श्री एवं पाम विधी आध्यात्मिक प्रवक्ता पुग गईन आप माता जी के प्रवचनों द्वारा जो जान की मंगा बह रही है उसी से प्रभावित होकर बडौत के भाई-बहनों ने बह छहकाला छावाकर घर-घर में पहुंबाने का निर्णय लिया है। यह छहहाला जैन धर्म को गीना है। इसे पढनर मीत्र आनन्द विभोर हो उठना है। इस ग्रन में निगोद ग निकन बर मोक्ष जाने तक का रास्ता बताया है। आत्मा को परमात्मा बनाने का मार्ग दिखाया हैं । नर रो नारायण बनने की विधि बतायी है। इसका घर-घर में स्वाध्याय हो और सभी भव्य जीव इयको पटकर अपनी भूल को जानकर, गही मार्ग पहिचान कर, यही मार्ग पर चस्पर अपना कल्याण करे इसी मंगल भावना के साथ इको टुपवा कर घर-घर में पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है। पर में यह पामर में प्राचीर मदानाकर या अमान वा अन्य इन निवेदन करता सभी दानवीर महानुभावों का आभार प्रकट करत हा निवेदन करता हूं कि गभी स्थानों में, महानुभाव इसे छपा कर घरघर में पहुँचामार गय और यश प्राप्त कर धर्म लाम । जय जिनेन्द्र य की । निवासः राकेग-भवन, पट्टी चौधरान बड़ोत-(मेरठ) निवेदक समत प्रसाद जैन “धर्माध्यापक" दिसम्बर जैन इण्टर कालिज प्रा० विभाग, बड़ौत (मेरठ)

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