Book Title: Buddhiprabha 1915 11 SrNo 08
Author(s): Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 34
________________ 256 दिमा. "खरी तभीयत तो सारी छ, पण ते मत तो नीभाव्य नी ?" "ज्यो भन?" " मा भारास भोसी. मीना तानाश भाव्यात?" " अरे पाह! मास शु? गाना ? दुहलत नथी." કેમ ડીયર ! ટેલીફોનમાંથી તમારા જણાવવા મુજબ તમારે કારકુન બધું હમણાં જ स भयो. પ્રાણજીવણુદાસને બધું સમજાવતાં તેઓ પોતાની મેટોરમાં તુરતજ પોલીસ કમિશનરના બંગલે દોડ્યા ને બધુ જણાવ્યું પણ હજી તે સોનેરી ટેળીને પત્તા નથી. समाचार. *बुद्धिप्रभा, जवहरीवाड अहमदाबाद. १-श्री महाशय, विदित हो कि यहां श्री समेतशिखरजी आनेमें इसरी या गिरिडिहसे जावीयोंको बैलगाडीमें आना होता था या होता है इस्से तकलीफ वो देर होता था मगर हाल हजारीबागके रइश बंगाली कम्पनीने जात्रीके आराम वास्ते इसरी स्टेशनसे मधुबन तक आनेके लिये ता. 1 दिसम्बर सन 1915 ई. से बड़ा मोटरकाट जिसमें 24-30 आदमी अरामसे चढसकें, चलानेका निश्चै किया है उसमें जात्री आराम नीरविघ्नके साथ 1 घंटामें पहुंच जायंगे, जिस बावत आप मेहरबानी करके छाप देंगे जिसमें तमामको पुरा पुरा मालुम होजावे. महसुल यानी भाडा वो बोझका लगेज नीचे लिखे माफक रहेगा तीसरा दर्जा 1 // ) लगेजवाद रतल 30 सेर पका 15 दुसरा दर्जा श) , 40 , 20 अवता दर्जा 4) 5 , 80 , 40 टिकट माफक बोझा या गठरी वाद देकर बाकी जो रहेगा / / -) दस आना एक मनका दरसे भाहा लगेगा. २-अंगरेज लोगोंका कस्तमस (नटाल)का तिहवार आता है उस वक्त एक दफेके टिकटसे दो दफे रेलमें जानेका लाभ होता है तो आप दो तीन दफे पत्रमें छाप देंगे जिसमें सब जैनश्वेताम्बर माई समेतशिखरजीके दर्शनोंका लाभ न चुके. ता. 18-11-1915 ई. देवनाथसिंह अजेन्ट जैनम्वेताम्बर. कोठी मधुबन पारसनाथ. + ઉપરની જાહેર ખબર રા. ર. શ્રીયુત ઝવેરી જીવણચંદ પરમચંદ તરફથી પ્રકટ કરવા આવેલી છે અને પ્રકટ કરી છે,

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