________________ (2) समुपदेशसें श्रेष्ठ है नाम जिसका, और सद्गुणोंकी रागवाली श्रीसुरतशहरमें रहनेवाली श्रीमती सुश्राविका श्रीकमलाबाईका दियाहुया आर्थिक सहायकरके औरली जामनगरमें रहनेवाली दीक्षाग्रहणकरनेवाली श्रीमती जमावबाईका दियाहुवा आर्थिसहायकरके श्रीजैनप्राचीनपुस्तकोघारफंके धारा उपवागश्थी, परन्तु इस ग्रन्थकी प्रथमावृत्तिकी सर्व नकलों शीघ्रतापूर्वक निकलजानेसें और फिरली विशेष इस ग्रंथकी मांगणी होनेसे, अत्यावश्यकता समजकर दितीयावृत्तिमें श्रीजैनप्राचीनपुस्तकोझार फंमके कार्यवाहकोंने उपवायके प्रगट कियाहै, औरती स्तवनादिक विशेषकरके वृद्धि इस ग्रंथमे किगइहै, इसलिये इस ग्रंथका महत् प्रमाण होनेसें अव्यव्यय जादा लगणेसें किमतकरके इस ग्रंथकुं अलंकृत कियाहै, और इस ग्रन्थके दितीयावृत्तिमें सहाय देकर ज्ञानलक्तिका लान लियाहै, उनोंके उपकारको हम अनुमोदन करतेहैं तथाहि-जं / यु / प्र / न / श्रीमजिनकृपाचन्त्रसूरीश्वरजीके समुपदेशसें मरुधरदेश निवासी श्रीबालोत्तरासहरके श्रीसंघके तर्फसें रुपिया 500 दीयेहैं, सुंदरवाइ इंदोरनूतपूर्वनिवासिनीने रु. 150 और मुनिश्रीविवेकसागरजीके समुपदेशसें 75 रुपिया श्रावकोने लेजेहैं, और इस ग्रंश्रकी मूलकाफी विक्रयके अंदाज रुपिया 550 से हैं और इस बृहत्स्तवनावलिकी दितीयावृत्तिमें कुल खर्च रु० 2750 अंदाज लगऐंका संजव है शेष श्रीसंघसहायतार्थ ज्ञाननत्यर्थ अर्पणकर लाल खेनेका संलवहै