Book Title: Bruhat Katha kosha
Author(s): Harishen Acharya, 
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 561
________________ - 402 BRHAT-KATHAKOSA - - Story 105 Story 127 Read स धीर' क्षिप्रमार्यिका कुरुविल्ले Verse 2836 288a 3116 3160 324a 19a 24a 310 Verse 30c 65c 136d 2810 देवः 129 4b 106 496 Read जयमत्या संपन्नाः प्रहिणोति देशादि स 'नाटकम् विद्युद्धनेन्द्र एताः रेणिका द्वादश व नहींने वेलायाम मार्गभ्रष्टो जिनपूजा इलादेव्याः शास्त्रार्थः 290 48a 5a 326 48a 72a 130 131 F.n. 10 137 209a 216a 265d 2706 133 पुत्रस्तपः 'वशाऽपुण्या रामाः गदितोऽबु महीपते [मत्स्यकान्] °वाक्यमुग्र. आ बाल अष्ट पुत्रा किंकर्तव्य द्यूतकारो भ्रातस्तोत्र रुक्मिणो मनःपवन धात्रिका गुप्तस्तद्वनं भूयः विद्यते तन्न व्रतिनां अस्यामेवं 2a 13 9d 107 108 350 50a 5d 37c 77a 135 137 20 5c 110 111 112 4a 138 3d 13a 20b 33d 41c 28d 41d 496 51d 400 1050 चतुरङ्गेण वहंस्तोषं कौतुकैषिणः नरेश्वर क. दत्त्वास्मै नक्तंदि 114 9a 139 °चरः कुधा सह सा सत्यमा 1620 116 सुप्तायाः 141 80 216 256 21d 430 546 21d 11d पृष्ठे 24d. 29d किंकारण प्रभावेण ज्ञेयः 'वृन्दारक प्र० वासिभिर्भू क्षिप्रमेष कालमभि 143 210 118 119 120 भित्त्वा सकौतुकः खनाः सप्त व महिषीणाम यूथद्वय 350 110 121 50 720 11a 9a मुनि 11d 123 126 100 वेगाद् 144 147 148 150 151 6c 60 19a 7d. 260 गोत्रिकाणां परः स्तब्धो पैशुन्यो... ताम् तत्सुतः 6b 876 1820 184d) 153 156 157 कालः देवः निःशल्यी यतीश्वर विष्ठा सुदृष्टिवि प्रहिणोति मुग्धभावः मनोहारिगों उषाजल 10a 12a 190 5d 280 स्थावरकाणि 18765 232a 257d लवणौदन रक्ष्यते° 950 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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