Book Title: Bhavana Sataka
Author(s): A S Gopani, Dharmshila Mahasati, Girishkumar P Shah Pandit
Publisher: Labhubhai P Mehta

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Page 130
________________ (२) प्रमोद – भावना राग - भैरवी । ताल-त्रिताल । सद्गुणपाने संसक्तं मे मनः ॥ ध्रुवपदम् ॥ धन्या भुवि भगवन्तोऽर्हन्तः । क्षीणसकलकर्माणः ॥ केवलज्ञानविभूतिवरिष्ठाः । प्राप्ताखिलशर्माणः ।। सद्गुण० ॥१॥ धन्या धर्मधुरन्धरमुनयो गृहीतमहाव्रतभाराः ॥ ध्यानसमाधिनिमग्नमानसास्त्यक्तजगद्व्यवहाराः।। सद्गुण:० ॥२॥ सेवाधर्मरता गतस्वार्था अभ्युदयं कुर्वन्तः ॥ धन्यास्तेऽपि समाजनायका न्यायपथे विहरन्तः ।। सद्गुण. ॥३॥ श्रद्धातो न चलन्ति कदापि । गृहीतव्रता गुणगेहाः । धन्यास्ते गृहिणो धमिणस्त्यक्तान्यायधनेहाः ॥ सद्गुण० ॥४॥ 109 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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