Book Title: Bhautik aur Adhyatma Vigyan Author(s): Rameshmuni Publisher: Z_Kusumvati_Sadhvi_Abhinandan_Granth_012032.pdf View full book textPage 2
________________ -85 - - ऐसे भी साधन उपलब्ध हैं जिनका यथास्थान उप- अमेरिका ने एक ऐसे मकान का निर्माण किया योग करने पर बहरा व्यक्ति सुनने में, अन्धा देखने में है, जिसमें अलग-अलग चार कमरे हैं। चारों में और लंगड़ा-अपंग मानव चलने-फिरने, घूमने लग यन्त्र लगाए गए हैं। प्रथम यन्त्र को चालू करने पर जाता है। मारक और हानिकारक उपकरण के बटन उस कक्ष में वायु भर जाती है । दूसरे यन्त्र को चालू को दबाया कि हजारों-लाखों मानवों, पशु-पक्षियों, करने पर उसमें कृत्रिम बादल छा जाते है । तीसरे || जानवरों का जीवन खतरे के बिन्दु को छूने की यन्त्र को प्रारम्भ करने पर बिजली-गर्जना और र तैयारी में हो जाता है। उनके मस्तक पर मौत चौथे यन्त्र के बटन दबाने पर वर्षा होने लगती है। है। मंडराने लगती है। अमेरिका में प्रातःकाल जो हरी घास थी, वह ऐसे यन्त्रों का भी वैज्ञानिक परीक्षण हो चुका छः बजे से नौ बजे के बीच में मशीन द्वारा कागज है जिनका यथास्थान समय पर उपयोग करने पर के रूप में और प्रेस में छपकर अखबारों के रूप में प्राणियों के स्वभाव और आदतों में तत्काल परिव- दनिया के सामने आ जाती है। केवल तीन घण्टे के तन-परिवर्धन देखा जा सकता है। अब स्वभाव अन्दर घास का अखबार के रूप में आ जाना विज्ञान बदलने की बात असम्भव नहीं रही। मानवों पर की कितनी यडी करामात है। १. प्रयोग हो रहे हैं । पशुओं पर अनेक प्रयोग-परीक्षण इलेक्ट्रॉनिक 'रॉबोट' नाम के मानव का o हो चुके हैं । बन्दरों, मेढकों, चूहों और पेड़-पौधों निर्माण किया गया है । यद्यपि उसमें आत्मा (Soul) पर प्रयोग हुए और हो रहे हैं । शरीरस्थ उन केन्द्रों का सद्भाव नहीं है परन्तु कृत्रिम आत्मा रूपी l का ठीक-ठीक पता लगाया जा चुका है,जिन्हें उत्ते- विद्य त का उसमें संचार है जिसके सहारे वह कई 6 जित करने पर प्राणी के स्वभाव में परिवर्तन आ काम करता हुआ मानव की बड़ी सहायता करने में | जाता है। तत्पर है। दो बिल्लियाँ हैं-एक के सिर पर इलेक्ट्रोड लगा यह निर्विवाद सत्य है कि इलेक्ट्रॉनिक जगत् 8 कर उसके भूख-केन्द्र को शांत कर दिया गया। दोनों आविष्कार और अनुसन्धान के तौर पर काफी Ex के सामने भोजन रखा गया। एक बिल्ली तत्काल ऊंचाइयों को छूने लगा है। कल्पनातीत करिश्मेउसे खाने लगी और दूसरी शान्त बैठी रही। करतब उपस्थित कर रहा है। आज विज्ञान ने बन्दर के हाथ में केला दिया, वह खाने की भौतिक, रासायनिक व जीवविज्ञान आदि सभी तैयारी में था कि उसके सिर पर इलेक्टोड लगाकर क्षेत्रों में काफी प्रगति की है तथापि निष्पक्ष दृष्टि उसके भूख-केन्द्र को शान्त कर दिया गया। उसने से अगर चिंतन करें तो हम उसी निष्कर्ष पर पहुँतत्काल केला नीचे डाल दिया। आहार, भय, निद्रा चते हैं कि आज प्रत्येक राष्ट्र और प्रत्येक मानव और वासनाजन्य केन्द्रों को विद्य त झटके देकर समाज पूर्वापेक्षा अत्यधिक अशांत, उद्विग्न और शान्त कर दिया जाता है। विज्ञान ने उन सभी आकुल-व्याकुल की स्थिति में हैं। विषमता, अनैकेन्द्रों को खोज निकाला है। तिकता से दम घुटता जा रहा है । क्लेष, द्वेष, वैर, चूहे और बिल्ली का पारस्परिक जन्मजात वैर विरोध, विश्वासघातमय प्रदूषणात्मक विषैली गैस रहा है, परन्तु दोनों के मस्तक पर इलेक्ट्रोड लगा से आज सभी भयाक्रांत हैं। इस इलेक्ट्रॉनिक युग में दिये गये । बस, न बिल्ली के मन में वैर, न चूहे आज सभी अपने को विनाश से अरक्षि के मन में भय पैदा हुआ। चूहा और बिल्ली दोनों समता, सहिष्णुता, सद्भावना, धीरता, गम्भीरता सप्रेम आपस में खेलने लग गए । इस तरह स्वभाव की पर्याप्त कमी महसूस कर रहे हैं । स्नेह, शान्ति, परिवर्तन आज सम्भव हो गया है। समर्पण भावों की तरंगें कम होती जा रही हैं। चतुर्थ खण्ड : जैन संस्कृति के विविध आयाम COAVAN 6 0 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ ? Jain Education International Per Private & Personalise al www.jainelibrary.orgPage Navigation
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