Book Title: Bhattikavyam
Author(s): Bhatti Mahakavi
Publisher: Pandurang Javaji
View full book text
________________
श्लोकाः
'चकाराधस् .. चकासांचक्रुः
चक्रन्दुरुचै० चक्काणाऽशङ्कितो चक्षूंषि कान्तान्यपि चञ्चलतरुहरिण• चचूर्यन्तेऽभितो
200
चतुष्काष्टम् चन्दनद्रुम संच्छन्ना
चयन्ति बाल
चलकिसलय ० चलपिङ्गल०
...
०
...
चापल्ययुक्तस्य चारुकलहंस चारुसमीरणरमणे चिकीर्षिते पूर्व० चिचेत रामस
चितां कुरु च
चित्रं चित्रम् चिन्तयन्नित्थम्
...
चिन्तावन्तः कथम् चिरं रुदित्वा चिरकालोषिताम् चिरं क्लिशित्वा चिरेणाऽनुगुणम् चुकोपेन्द्रजित् चुकुधे तत्र चेतस्त्वयि
...
छलेन दयिता छिन्नानैक्षन्त
IP
जक्षिमोsनपराधे जगन्ति धत्स्व
...
...
...
...
600
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
छ.
...
...
·
...
...
...
...
श्लोकाङ्काः श्लोकाः जगन्त्यमेयाद्भुत० ७३९ | जगर्जुर्जहृषुः
१०८७ | जगाद वानरान् ११० | जगाहिरेऽम्बुधिम्
...
...
...
940
...
...
...
0.0
...
...
...
...
...
000
...
0.0
...
...
8.0
...
...
...
...
000
...
...
...
११५७ | जग्मुः प्रसादम्
९०८ | जग्लौ दध्यौ
800
१०२४ | जटायुः पुण्यकृत् १४८३ जनानुरागेण
७३५ | जरित्वेव
१५९४ | जलकामदन्ति ० १३२४ |जवती तुङ्ग •
०
...
७३१ | जिज्ञासोः शक्तिम् ६०१ | जिते नृपारौ
५०६ | जूतिमिच्छथ १३२ | जेता यज्ञ०
२२५ | जेतुं न शक्यो • २३५ | ज्ञात्वेङ्गितैर् ६३७ | ज्ञायिष्यन्ते मया
१११२ | ज्योतिष्कुर्बन्
११७५ | ज्योत्स्नाऽमृतम्
१५५८
डुढौकिरे पुनर्
३८९
१४११ | तं यान्तं दुद्रुवुर्
तं यायजूकाः
9.0
...
...
...
...
...
...
...
...
...
⠀⠀⠀
१०५७ जलद इव
८३६ | जलनिधिमगमत् ९५१ | जले विक्रम
०
१०४२ | जल्पाकीभिः
१०१९ | जल्पितोत्कुष्ट •
९३७ | जहसे च क्षणम्
११३० | जहीहि शोकम् ४५६४ जिगमिषया संयुक्तम् ...
...
...
...
⠀⠀⠀⠀
...
...
...
...
...
...
...
8.0
...
...
...
...
...
...
...
...
...
त.
...
...
...
...
930
06
...
...
...
...
...
...
...
...
800
900
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
...
190
...
:
...
:
...
१७७ | तं रत्नदायम् १५६१ | तं विप्रदर्शम्
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Suratwww.umaragyanbhandar.com
...
...
...
_९५६
१०७५
५२५
११३५
६४
११२८
५१५
९५९
७१४
१०६०
१०६७
९३१
८६१
५६६
४५३
५७१
११६१
१५४०
१०३३
४०७
...
८ १
५०३
१६५
९७७
९८
१३४५
७३७
६०४
११३९
११६५
४७
८४२
५०

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 ... 514