Book Title: Bharatiya Sadhna Paddhati me Gurutattva ka Mahattva
Author(s): N C Jogalkar
Publisher: Z_Pushkarmuni_Abhinandan_Granth_012012.pdf

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Page 5
________________ .18 श्री पुष्करमुनि अभिनन्दन ग्रन्थ : सप्तम खण्ड 6 नाहिन आपात आन भरोसो।...... गुरु कह यो राम भंजन नी को मोहि लागत राज-डगरो सो। -विनयपत्रिका 7 हरि सेवा कृत सौ बरस, गुरु सेवा पल चार / तो भी नहीं बराबरी, वेद न कियो विचार / 8 आवागमन मिटाया सद्गुरु, पूजी मन की आसा / जीवन्मुक्त किया परमेसुर कहत मलूकादासा / / . (अ) भरोसो दृढ़ इन चरनन केरो / श्री बल्लभ नख चंद-छटा बिनु सब जग मांझ अँधेरो / साधन और नहीं या कलि में जासो होन निबेरो / सूर कहा कहै द्विविध अंधेरो बिना मोल का चेरो॥ (आ) गुरु बिन ऐसी कौन करे / ........ सूर स्याम गुरु ऐसो समरथ छिन में ले उधरे // सतगुरु आय जगाओ / ज्ञानी गुरु आय जगायो / / (आ) सतगुरू म्हारा प्रीत निभाज्यो जी। थे छो म्हारा गुणसागर औगण म्हारो मति जाज्यो जी / (इ) मोही लागी लगन गुरु चरनन की। मीरा के प्रभु गिरिधर नागर आस वही गुरु सरनन की। 11 गुरु के प्रसाद बुद्धि उत्तम दशा को गहे, गुरु के प्रसाद, भव दुख बिसराइए / गुरु के प्रसाद प्रेम प्रीतिहु अधिक बाढे, गुरु के प्रसाद, राम नाम गुण गाइए / 'सुन्दर' कहत गुरुदेव जो कृपालु होइ, तिनके प्रसाद, तत्त्वज्ञान पुनि पाइए। -सुन्दरवास वाणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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