Book Title: Bharatiya Jain Shraman Sanskruti ane Lekhankala
Author(s): Punyavijay
Publisher: Punyavijayji

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Page 144
________________ 4 Chitrarianianmmm 0 SAVARNATAमयरमहामारोबारम्सबाmusarmarat TRENTOR aina.... जयदीप उबारिक निमादि EXVवधिसविनेदानदेशाबविलयविखेमmayायविशाषकसमयार्थियोarपसया तर नवगामिसरियातायाफ्यामानानवगामिंवमिनामनदायनमसमबनानवसितमपतियातमन ३. सतिपालथाविटावियानोनिमायामा विवलेत मानमविननलिपरमपराश्यातूसिवजाव * तंदनाथवज्ञानाचावीयातायत्तयोJIRSHAIRAानातिसंप्राविधमानचिताननप्रियंपायतितमवश्याको 'प जानाबानादवारलारंगदेवनारकमानेनावारिकानापय सानानिमिन्न.. मसेयनसम्पदास्यमायामयाबसयमानिनबनस्यसत्यतातरहिरंगस्वायत्यय लाय नावामनाया नावातूतावामनपर्ययज्ञानविस्ताक्षयपतिचिgaविमान्यातालमनिमनधना निबाहरmवाकयमनकापरस्परिक मिनिममस्यामानेत्रनितिनिर्मितgणा नारगुणाकायमसनारयमित्यरफूस्तरोन विद्याविभमानकानावरायो तरायायात मनातवानसकनमंतीडिया के कानिसमा सबनमानसमार साबिसयावसमात्र सबसवण्यसावात सकलविषयकामावलि सिंहासनयवादिसिद्धानवावासियसापनेस्पतिदयपत्र विसिवानखवारिवाdिaramata सायनामिकसण्यासपिरि सित वजारमान्यता परत बातमसिमय बासमातियाला s प्रत्ययकामविवादासना Amatuaशान meena ameswayaN e t Asian ---- . . - --- . . . ---mnaleeniley aurarinivaary ચિવ ૧૮ વિરાટ પુરત સંશોધનકળાના નમૂનારૂપ પ્રમાણપરીક્ષા ગ્રંથનું પાનું


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