Book Title: Bharatiya Achar Darshan Part 01
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

View full book text
Previous | Next

Page 547
________________ मनोवृत्तियाँ ( कषाय एवं लेश्याएँ) वाला 10. तेजस्वी 11. दृढधर्मी 12. नम्र एवं विनीत 13. चपलतारहित तथा शांत 14. पापभीरु अप्रशस्त या अधर्म - लेश्याओं में प्राणियों की मन:स्थिति एवं चरित्र (उत्तराध्ययन के आधार पर) " जैन- दृष्टिकोण 1. अज्ञानी 2. 3. मन, वचन एवं कर्म से अगुप्त - 4. दुराचारी 5. कपटी 6. मिथ्यादृष्टि 7. अविचारपूर्वक कर्म करने वाला 8. नृशंस 9. हिंसक 10. रसलोलुप एवं विषयी 11. अविरत 12. चोर Jain Education International तेजस्वी धैर्यवान् कोमल चपलतारहित (अचपल ) लोक और शास्त्र - विरुद्ध आचरण में लज्जा आसुरी - सम्पदा से युक्त प्राणियों की मनःस्थिति एवं चरित्र (गीता के आधार पर) " गीताका दृष्टिकोण 67 545 कर्त्तव्याकर्त्तव्य के ज्ञान का अभाव नष्टात्मा एवं चिन्ताग्रस्त मानसिक एवं कायिक- शौच से रहित (अपवित्र) अशुद्ध आचार (दुराचारी) कपटी, मिथ्याभाषी आत्मा और जगत् के विषय में मिथ्यादृष्टिकोण अल्प बुद्धि क्रूरकर्मी हिंसक, जगत् का नाश करने वाला कामयोग -परायण तथा क्रोधी तृष्णायुक्त चोर For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554