Book Title: Bhamini Vilas ka Prastavik Anyokti Vilas
Author(s): Jagannath Pandit, Janardan Shastri Pandey
Publisher: Vishvavidyalay Prakashan

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Page 213
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८० भामिनी- विलासे अर्थ - यह उच्छृङ्खल विधाता ( मनमानी करनेवाला भाग्य या ब्रह्मा ) मनुष्यों को बिना माँगे कभी सुख दे देता है और कभी माँगनेपर भी नहीं देता, कभी उनका सर्वस्व भी हरण कर लेता है । खण्डितानेत्र कञ्जालिमञ्जरञ्जनपण्डिताः । मण्डिताखिल दिक्प्रान्ताश्चण्डांशोः पान्तु भानवः ॥२१॥ अर्थ - खण्डिता नायिकाओंके नेत्रकमलोंकी पंक्तियोंको अत्यन्त प्रसन्न करनेमें कुशल और जिन्होंने सम्पूर्ण दिशाओंके छोरोंको प्रकाशित कर दिया है ऐसी, तीक्ष्ण किरणोंवाले ( सूर्य ) की किरणें ( तुम्हारी ) रक्षा करें । टिप्पणी- यह सामान्य आशीर्वादात्मक श्लोक है । खण्डिता वह नायिका है जिसका पति रातभर किसी अन्य नायिका के साथ रहकर प्रातःकाल उसके पास आता है । रातभर पतिकी प्रतीक्षा करती हुई उस नायिकाकी नेत्रकमलपंक्तिको सूर्योदय होते ही पतिके आ जानेपर प्रसन्नता हुई । इस प्रसन्नताका श्रेय जिन सूर्यकिरणोंको है वे तुम्हारी रक्षा करें, यह भाव है । प्रास्ताविके विलासेऽत्र श्री जनार्दनशा स्त्रिया । भाषाटीका " कुमुदिनी" कृतेयं पूर्णतामगात् ॥ For Private and Personal Use Only

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