Book Title: Bhagwati Sutra Part 17
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ श्री भगवतीसूत्र भाग लत्तरहवें की विषयानुक्रमणिका अनुक्रमाा विषय । पृष्ठाङ्क ___ अठाइसवां शतक उद्देशक पहला १ जीवों के पापकर्म समार्जन का निरूपण दूसरा उद्देशक २ अनन्तरोपपन्नक नारक जीवों के पापकर्म समार्जन का निरूपण १२-१६ तीसरा उद्देशक से ग्यारहवां उद्देशक पर्यन्त ३ उद्देशकों की परिपाटि का कथन १७-२० उन्तीसवें शतक का पहला उद्देशक ४ पापकर्म भोगने का एवं उनको नष्ट करने का कथन २१-३७ दूसरा उद्देशक अनन्तरोपपत्रक नारकादिको को आश्रित करके पापकर्म प्रस्थापन आदि का कथन ३८-४७ तीसरा उद्देशक से ग्यारहवें पर्यन्तके उद्देशेका कथन नैरयिकों के अचरमत्व, पापकर्म भोगनेका कथन ४८-५० तीसवें शतक का प्रारंभ-प्रथम उद्देशक जीवों के कर्मबन्ध होने के कारणों का कथन ५१-७४ ८ जीवों के आयुबन्ध का निरूपण । ७४-९७ नैरयिकों के आयुबन्ध का निरूपण ९७-११८ क्रियावादि जीवों के भवसिद्धि आदि होने का कथन ११९-१३३ ३० दुसरा उद्देशक ११ अनन्तरोपपन्नक नैरयिकों के क्रियावादी ___ आदि होने का कथन १३४-१४६

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 812