Book Title: Be Sarasvati Stotra
Author(s): Ratnakirtivijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ (27) (श्रीमदर्हद्वाण्यै नमः।) सर्वज्ञवाणी जयतात्सर्वभाषामयी शुभा। पञ्चत्रिंशद्गुणोपेता मनुपूर्वस्वरूपिणी // 1 // दयामय्यमृतमयी वाग्देवी श्रुतदेवता। संसृष्टिविगमध्रौव्यदर्शिका भुवनेश्वरी॥ 2 // ब्रह्मबीजध्वनिमयी श्रीमती वाग्भवात्मिका। ज्ञानदर्शनचारित्ररत्नत्रितययदायिका॥ 3 // अर्हद्वक्त्राब्जसम्भूता भव्यकैरवचन्द्रिका! नयप्रमाणगम्भीरा नवतत्त्वगमान्विता / / वाग्वादिनी भगवती कुमतिध्वंसकारिणी। स्याद्वादिहदयाम्भोजस्थायिनी मातृकामयी।। 5 / / नित्या सरस्वती सत्या ज्योतीरूपा जगद्धिता / वागीश्वरी सिद्धिदात्री सिद्धबीजमयी परा॥ 6 // परमैश्वर्यसहिता गणभृद्गुम्फिता श्रुते। सिद्धान्तार्थप्रदाऽचिन्त्याऽनन्तशक्तिश्च सारदा // 7 // स्याद्वादवादिनी श्रेष्ठा तारिणी भववारिधेः। या हज्जाड्यान्धकारस्य हरणे तरणिप्रभा।।८॥(अष्टभिः कुलकम्।।) सा मद्वक्त्रे निवसताज्ज्ञानानन्दप्रदायिनी। नमस्या मामको तस्यै बोभवीतु मुहुर्मुहुः।। 9 / / इति श्रीजिनवाक्स्तुतिः। श्री प्रवचनदेव्यै नमः। णमो बंभीए लिवीए। णमो सुयदेवयाए भगवईए। णमो सुयस्स भगवओ। श्री ज्योतिर्मायाभ्यां नमः। स्वामिनि ! शासनदेवते ! मत्सान्निध्यं विधेहि विश्वेशी प्रवचनबोधो भगवति ! दयया भक्ताय दातव्यः॥ 1 // श्रीमदर्हन्मातृकाभ्यो नमः। श्री जिनशासनदेवताभ्यो नमः।।श्री प्रवचनमातृभ्यो नमः॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4