Book Title: Baldev Munini Sazzaya Author(s): Rasila Kadia Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 1
________________ बलदेवमुनिनी सज्झाय विभाग ( ( १ ) प्रतिपरिचय : माप : १०.५ सें.मि. x २६ सें.मि. अक्षर संख्या ३९ पंक्ति संख्या १० प्रत संख्या १ स्थिति जीर्णप्राय आजुबाजु हांसिया माटेनी जग्या छोडेली छे पण लीटीओ दोरेली नथी. अक्षरो मोटा, चोख्खा, सुंदर अने एकसरखा छे. प्रारंभे भले मीडुं करेल छे. अंते रचनाकार के लिपिकारना नामनो उल्लेख नथी. संवत पण लखी नथी छतां अंदाजे आ प्रतनो समय १८मो सैको गणी शकाय तेम छे. 'सकल' ए छेल्ली कडीमां आवतो शब्द कर्तानुं सूचन करनारो होय तेम लागे छे. = Jain Education International = = सं. डो. रसीला कडिया प्रस्तुत अज्झाय तपस्वी महामुनि बलदेवमुनि विशे छे. तुंगिआ शिखरथी शोभता वनमां तेओ दीक्षा लईने तप करे छे अने क्यारेक कोई कठियारो कोईक दिवस भोजन आपे त्यारे ज पारणुं करे छे. वनमां जंगली प्राणीओ बोध पामे छे अने 'संग तेवो रंग' न्याये आ पशुओमांथी कोईक श्रावक बने छे. कोईक अनशन करे छे. कोईक मांस छोडे छे. कोईकने जाति - स्मरण ज्ञान थाय छे. मासखमणने पारणे मुनि ज्यारे नगरीमां गोचरी लेवा जाय छे त्यारे कूवा - कांठे ऊभेली कामिनी रूपवान मुनिने जोई एवी तो मोहित थई जाय छे के भान भूलीने घडाने स्थाने पोताना पुत्रने कूवामां पाणी माटे उतारे छे ! मुनि चेती जाय छे, पोतानुं रूप वनमां पशुओ साथे ज सारुं छे एम विचारी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3