Book Title: Balbramhacharinya Shrimatya Kusumvatya Satya Yash Saurabham Author(s): Publisher: Z_Kusumvati_Sadhvi_Abhinandan_Granth_012032.pdf View full book textPage 1
________________ बालब्रह्मचारिण्याः श्रीमत्याः कुसुमवत्याः सत्याः यशःसौरभम् 00000000000000000000000000000 संसारजीवजगतः परमंहितेच्छुम्, मोक्ष च्छुक प्रकृतिहेतुजनेविरक्तम् । ज्ञानात्मदेहविषये हृतसंशयं तम्, वन्दे गुणातिशयितं भुविवर्तमानम् ॥ नमाम्यहं सोहननामधारिणीम्, सती महिम्नां सकलागमश्रियम् । सतां समूहेऽप्यमितप्रभाविनीम्, दयैकदृष्टिं श्रितशुक्लवाससम् ।।१।। अर्थ-श्वेताम्बर स्थानकवासिनी जैन साध्वी महिमाओं की सती श्री सोहनकुंवरजी महाराज, जो सब आगमों की शोभा थीं, मुनिराजों में भी जिनकी धाक थी, जिनकी दया ही शरण थी, उनको मैं नमन करता हूँ। नमस्कृति, प्रथमा स्वभावतः, यतो हि गुर्वीयमतोऽपि युज्यते । वदामि यस्या यशसः कथानकम्, भवेदहो मङ्गलमेव मङ्गलम् ।।२।। अर्थ-स्वभाव से मेरा नमस्कार, इसलिए भी है कि ये मेरी गुरु थीं। और इसलिए भी कि CL में जिन सतीजी के यश की कहानी कह रहा हूँ, उनकी भी ये गुरु हैं, जिससे कि मंगल ही मंगल हो। वहामि तस्याः शिरसाऽप्ययोमुखः, सदोपदेशामृतपूर्णमुत्तटम । घटं ततोऽहं कथयामि मातरम्, वदेयुरन्ये किमपीह दुर्वचम् ॥३॥ अर्थ-उन सतीजी महाराज के उपदेशामृत से भरे हुए और उठाए घड़े को लज्जित हो, ढो रहा है, यही कारण है कि मैं सतीजी को माता कहता हूँ, फिर चाहे कोई कितना ही बुरा कहे। तस्याः पुनश्चान्यतमा भवेदियम्, सतीषु धन्या कुसुमाभिधायिनी। ममा तु तस्याः समुदीर्यते यशः, यथास्मृति ध्यानपरेण चेतसा ॥४॥ ___ अर्थ-उन्हीं की अनेक सतियों में से ये श्री कुसुमवतीजी सती हैं, इनके यश तो बहुत हैं किन्तु ।। मुझे जो सूझते जाते हैं, उन्हीं को मैं कहता हूँ। अबोध एवाहमतोऽपि निर्भयः, गदामि मत्याकलितं सुनिर्भरम् । अतो न जिहामि कवेगुणादहो, न शङ्कते मे हृदयं विकत्थने ॥५॥ अर्थ-क्योंकि मैं नासमझ हूँ, इसलिए मुझे कोई डर नहीं लगता, अतः जैसा समझ में आता है, वैमा ही खूब कहता जाता हूँ। इसलिए कवियों की मर्यादा छोड़कर वर्णन करने पर भी नहीं झेंपता। यहाँ तक कि डींग मारने पर भी हृदय घबड़ाता नहीं है। श्रद्धयाया महत्या धवलवसनाच्छादिताया हि सत्याः, श्रीमत्याः सोहनायाः कृतघनतपसो मुक्तिमार्ग-प्रयात्र्याः । ( ५३० ) 540 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ Jain Education International FORPrivate-supersonalison www.jainelibrary.orgPage Navigation
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