Book Title: Bahumukhi Pratibhaono Kirti Kalash Swapn Shilpio
Author(s): Nandlal B Devluk
Publisher: Arihant Prakashan
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बादशाही दोपहर ३.०० बजे प्रवचन बहुमान साध्वीजी भगवंत की वाचना -
पृच्छा एवं वेयावच्च। सायंकुमारपाल महाराजा की आरति , बादशाही ठाठ, रात्रि भक्ति भावना बस
१४-१४ संघ में गये यात्रिकों का कहना था यह संघ शिरमौर हैं, कार्यकर्ताओं अब तो चला संघ का दैनिक नित्यक्रम एक एक दिन कटता गया । प्रथम
की सौजन्यता विनम्रता , वैयावच्च, भक्ति तनतोड मेहनत सभी के दिल को छु दिन रोहीशाला दूसरे दिन जीवापुर
जाती छोटे छोटे इन बालक बालिकाओं के मुह पर पकान की एक रेखा भी तीसरे दिन मंगल प्रवेश पालीताणा एवं मालारोपण
नहीं...रास्ते में बीना मोजा बुट, चप्पल बिना चलते यात्रिकों का अभिवादन संघ देनिक कार्यक्रमानुसार प्रातः ५-०० बजे प्रयाण कर बराबर गिरीराज की
पूजा.... जय जयकारों के साथ६-०० बजे साचा सुमतिनाथ दादा के दर्शन कर संघ एवं कई कई जगह यात्रिकों को कुंकुम पगला एवं गाल पर कुंकुम लगाकर बधाई। संघवीजी परिवार आणंदजी क्याणजी पेढी पहुंचे। पेढी द्वारा अपूर्व स्वागत संघ में पढाये पूजन किया गया साफा में शोभते संघवी एवं मैसूरी पाडी में यात्रिक एवं पीले खेतों
|जहाँदेखोवहाँगुरुजी
|१०८ पार्श्वनाथ महापूजन से शोभते सभी पात्रिकों के साथ शोभायात्रा का नजारा कुछ ओर ही था। संघ
सुबह ४-३० बजे प्रतिक्रमण करत एवं प्रभावना अष्टापद महापूजन
देते गुरुजी पूजा करके गिरीराज की यात्रा हेतु शोभायात्रा प्रारंभ हुई। यह नजरा अपूर्व था,
प्रभु वंदनावली
प्रातः ५ बजे मंडप में भक्तामर पाठ एवं भक्ति की लोगोंने कहा, प्रातः इतना जल्दी ऐसा वरघोडा ऐसा सुंदर नजारा यहाँ कभी नहीं
अरिहंत वंदनावती महापूजन धून मचाते गुरुजी देखा, युवानों के नृत्य, सभी का हर्षोल्लास अपूर्व था। बेंगलोर आराधना भवन
रत्नाकर पच्चीसी महापूजन
पूरे संघ में पैदत चतते एवं जयजयकार करते में संघवी परिवार का सम्मान किया गया। तलेटी चैत्यवंदन कर शहनाइओं के
गुरुजी
१०८ पार्श्व पूजन - भाग १ साथ जय जयकार कर गिरीराज की यात्रा करते दादा के दरबार पहुँचे । प्रातः ९
पाँच पाँच घंटो तक भक्ति में मग्न बनाते गुरुजी १०८ पार्श्व पूजन भाग - २
भोजन के समय सब की मीठाई खीताकर भक्ति से १०-३० तक अपूर्व उत्तास के साथ संधमाला का कार्यक्रम हुआ। संघवी
१०८ पार्श्व पूजन भाग - ३ करते गुरुजी परिवार द्वारा दादा की ध्वजा चढानेका रोमांचक कार्यक्रम सभी ने देखा । दादा
नंदीश्वर द्वीप महापूजन प्रवचन मंडप में जाहिरात एवं अनुमोदना करते कीध्वजा का अपूर्व अनोखा प्रसंग कईओं के लिए प्रथम ही था,खूब अनुमोदना नेमिनाथ अम्बिका महापूजन
गुरुजी हई सब कह रहे थे वाह भाई वाह !! क्या संघ!! क्या उदारता !! क्या
कुमारपात आरति में सब को नचाते जोडते गुरुजी अष्टमंगल महापूजन
साधु साध्वी एवं यात्रिकों को शुखशाता पूछते आनंद!! दादा का पक्षाल पूजा कर सब घेटीपाग उतरे वहाँ कार्यकर्ताओं द्वारा
तीर्थ वंदना
उत्साह बढाते गुरुजी धीरुभाई के निर्देशन में सभी का दुध से चरण पक्षालन गुलाबजल छाटणा , गिरनार तीर्थ वंदनावली कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन देते गुरुजी तिलक प्रभावना आदि दृश्य ने कईओं की आँखे गिली बनाई । उतरकर ६ कल्याण मंदिर महापूजन सुबह संघ में अनुकंपादान देते प्रेरक गुरुजी किलोमिटर चलने पर भी यात्रिक प्रसत्र थे।
१७० जिन महापूजन
छोटे छोटे बच्चों को धामर नृत्य कराकर इनाम देते प्रतिदिन संघका ऐसा कार्यक्रमथा।
ऋषभनी शोभा शी कहुँ
गुरुजी
संघ की प्रत्येक व्यवस्था में लगे गुरुजी प्रातः३-३० बजे शहनाई की सुरावली के साथ जागरण नित्यकर्म निपटकर श्री शत्रुजय भावयात्रा
सभी को साथ लेकर सब से पीछे रहते गुरुजी प्रात: ३-४५ - से ४-४५ प्रतिक्रमण १०० पुरुषों का प्रात: खडे खडे प्रतिक्रमण
तीर्थ माला कार्यक्रम प्रातः ५-०० बजे मंदिरजी में प्रवेश चैत्यवंदन, भक्तामर,
देखते देखते बीत गये दिन १५ , अब तो गिरनार तीर्थ नजरों के अरिहंत वंदनावती मंत्राक्षरों की धुन ।
सामने था - सभी नाच रहे थे, गिरीराज को बधा रहे थे। शाम को गिरी वधामण प्रातः ५-३० बजे गुरुवंदन, मांगलिक, संघ प्रयाण
का ऐतिहासिक प्रसंग भी हुआ। ता. २८-१२-२००८ को कच्छी भवन से पूरे रांध में जयजयकार भक्ति की धून, अनुकंपादान
स्वागत शोभा यात्रा प्रारंभ हुई मिलन बेन्ड के विशाल पार्टी, पीले खेश में शोभते प्रातः ८-००बजे संघ का मुकाम पर पहुँचना प्रभुजी का एवं गुरुभगवंतों का सामैया मांगलिक, संघ पूजा
यात्रिक, जय गिरनार की गुंज प्रातः ८-०० बजे जुनागढ में मंगल प्रात: १.०० बजे से २-००बजे तक परमात्मा पूजा
प्रवेश, तलेटी मंदिर पूजा भव्य स्नात्र, आरति आदि भव्य स्नात्र महोत्सव, विविध पूजन
ता. २९-१२-२००८ प्रात: ५ बजे गिरनार की हर्षोल्लास के साथ यात्रा दोपहर १२ बजे से २-३० बजे तक एकासण
प्रारंभ, जय जयकारों के साथ प्रात: ६-३० बजे यात्रि पहुँचे नेमिनाथ दरबार।।। दोपहर ३ बजे प्रवचन, बहुमान कार्यक्रम
स्तुति, भक्तामर की रमझट के साथ एक घंटा भक्ति की धून पक्षाल- पूजा आदि ४ से ४-१५ तक प्रश्न माला भरना एवं पुरस्कार
की रेकार्ड बोली, ध्वजा चढाने का मनभावन प्रसंग ,तीन प्रदक्षिणा में सभी ने सायं ४-४५ बजे से ५-४५ बजे साध्वीजी भगवंत की वाचना
ध्वजा स्पर्श अपूर्व माहोल था ध्वजा चढाने का। सायं ६ बजे से ७ बजे तक कुमारपाल महाराजा की भव्य आरती
संघकीयहथी विशेषता............ दीपकों की सजावट भव्य आंगी, रंगोली. नृत्य
नहीं कोई विशिष्ट बहुमान या टीकट का भी प्रतोभन... फिर भी६५० यात्रिक, ७ से ८-१५सामुहिक प्रतिक्रमण
सभी पादचारी.एकल आहारी.आवश्यककारी, भूमि संधारी, ८-१५ से १ बजे तक यात्रिको द्वारा टेन्ट
प्रत्येक कार्यक्रमों भी सभी यात्रिक एवं आयोजकों की उपस्थिति । फिर भी न थकावट एवं चित्त बधामणा वैयावच्च सुखशाता पृच्छा
प्रसत्रता। ८-३० से १-३० बजे संगीतमय प्रभु भक्ति
भोजन के समय संघपतिओं एवं कायकर्ताओं द्वारा रसवतीओं से बहमान पूर्वक भक्ति ९-३० से १० तक तत्त्वचर्चा एवं शयन
संघवणों की पंखा चलाते गीतगाते भक्ति... इस प्रकार कार्यक्रमों से पूरा दिन
टेन्ट सजावट, गहुँती स्पर्धा, प्रत्येक दिन प्रश्नमाता कैसे बीत जाता था, पता ही नहीं लगता था......
शत्रुजय भावयाचा, शोभा शी कहुँ रिषभ की आदि विशिष्ठ कार्यक्रम ।
सुरेन्द्र गुरुजी ने तीर्थ रक्षा हेतु गिरनार की नव्वाणुं यात्रा प्रतिदिन दूर दूर से विशिष्ट व्यक्ति संघ दर्शन एवं अपूर्व नजारा देखने आते . की उद्घोषणा की५ लाख में लाभ लेने हेतु सभी का बादशाही बहुमान किया जाता। शाम को हजारों की संख्या दर्शन हेतु मधुबेन चोथालाल परिवार आती सभी को मीठाई पेकेट की प्रभावना की जाती। सभी रंग गये भक्ति के रंग शा भंवरलाल हस्तीमलजी रांका में.... अब न तो किसीको कुछ कहना पड़ता था,१८-१८ किलो मिटर चलने पर
शा जयन्तिलालजी गंभीरमलजी बाफणा भी सभी की थकान दूर.. हर मुकाम पर किशान /खेत मालिकों का / सरपंच आदि का बादशाही सम्मान ....केशुभाई बेडेवाला का धनगनता नया नया
शा जीवराजजी गुणेशमलजी ओस्तवाल नृत्य कमलभाई पार्टी, नरेन्द्र वाणीगोता, दशरथभाई जोशी, आदि संगीतकारों
शा हस्तीमलजी भंडारी की समय समय अपूर्व भक्ति रस के रमझट । लब्धिगुप एवं कार्यकर्ताओं द्वारा शा उगमराजजी फुलपगर स्नेह भरी अपूर्व भक्ति , रात को भी संघवी एवं कार्यकर्ताओं द्वारा सुखशाता। सुशीलाबेन धर्मीचंदजी रांका महर
अनेक परिवारों ने अपना नाम लिखा दिया, नव्याणुं यात्रा हेतु यात्रिकों का नाम
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