Book Title: Baccho me Charitra Nirman Disha aur Dayitva
Author(s): Uday Jaroli
Publisher: Z_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf

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Page 7
________________ 60 कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : तृतीय खण्ड 00000000000 0000000000000000...................... बच्चों की हत्याएँ अपहरण, बलात्कार होते रहें, यह शर्मनाक है। इसके लिये कठोर दण्ड की व्यवस्था होनी चाहिये और दण्ड दिलानेवाली पृथक पुलिस इकाई होनी चाहिये। रेलों-बसों में बच्चों एवं बच्चे वाली मां को प्रथम आसन मिलना चाहिये / हमें कुछ साधारण सहिष्णुता के नियम पुनः स्थापित करने होंगे। बच्चों में अपराधवृत्ति कम करने के लिये इसकी जड़, अभावों की जिन्दगी और अशिक्षा को दूर करना होगा। केवल इंगलिश कानून की नकल करते हुए, 'प्रॉबेशन आफ आफेन्डर्स एक्ट' 'प्रॉबेशन कोड' और सुधारगृह बना देने मात्र से काम पूरा नहीं हो जायेगा। बच्चों को पढ़ने के नि:शुल्क साधन और सुविधाएँ देनी होंगी। इन्हें बदमाशों, चोर, उचक्कों, पाकेटमारों के चंगुल से बचाना होगा। इनके अड्डों को समाप्त करना होगा। पुलिस की मिलीभगत पर चोट करनी होगी। जो छोटे-छोटे बच्चे इनके चंगुल से मुक्त हो जाएँ उनके शिक्षण-प्रशिक्षण के लिये समाजसेवी संस्थाओं को स्कूल की सुविधा और साधन देने होंगे। व्यावहारिक शिक्षा के साथ इन्हें सम्प्रदाय-निरपेक्ष आध्यात्मिक चिन्तन भी दिया जा सकता है। रेडियो और सिनेमा का उपयोग शिक्षा एवं स्वस्थ मनोरंजन के लिये होना चाहिये / सिनेमा में बीभत्स, भौंडे और डरावने दृश्यों पर रोक लगानी चाहिये / इस हेतु सिनेमा कानून में परिवर्तन की आवश्यकता है। शराब और नशीली वस्तुओं के चित्र प्रदर्शित नहीं होने चाहिये एवं ऐसे गानों का गली बाजारों में बजना सख्ती से रोका जाना चाहिये / बच्चों के लिये शिक्षाप्रद और मनोरंजक फिल्में बननी चाहिये जिससे बच्चों को जीवन की शिक्षा मिले / अश्लील साहित्य के प्रचार-प्रसार पर भारतीय दण्ड संहिता में रोक लगी हुई है परन्तु 'अश्लील' की परिभाषा नहीं दी गई है। बच्चों के कच्चे मन और मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले साहित्य का प्रकाशन एवं विक्रय धड़ल्ले से हो रहा है / इसमें पुलिस भी मिली रहती है / अभिभावकों और शिक्षकों का कर्तव्य है कि बच्चे को ऐसे साहित्य के पठन से बचायें और उसके हाथों में सद्ताहित्य दें। सरकार को अश्लील साहित्य पर तुरन्त रोक लगानी चाहिये। समाज सेवक और संस्थाएँ पिकेटिंग एवं अन्य माध्यमों से ऐसे साहित्य बेचने वालों पर पुलिस कार्यवाही करवाकर दण्ड दिलवा सकती हैं। समाज के ठेकेदारों और राजनेताओं को अपना चरित्र एवं व्यवहार बदलना होगा। धनार्जन के काले रास्ते बन्द होने चाहिये। राजनेता और धनपतियों को सत्ता-लोलुपता और धन-प्राप्ति की राजनीति छोड़कर समाज एवं देश-हित की राजनीति में रहना चाहिए तभी बच्चों के चरित्र पर अनुकूल प्रभाव पड़ सकता है। बच्चों एवं विद्यार्थियों को चरित्र के लेक्चर झाड़ने के बजाय स्वयं चरित्रवान् और नीतिवान् बनकर व्यवहार करना होगा। चुनावी प्रचार में बच्चों का दुरुपयोग कानून द्वारा रोका जाना चाहिये / इस हेतु जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन कर बच्चों द्वारा प्रचार करवाना प्रतिबन्धित एवं दण्डनीय घोषित होना चाहिये। पण Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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