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આમાનદ પ્રકાશ
के दर्शन करते हुए हम आत्मा के धना करते है तो समझना चाहिये कि दर्शन करते हैं, मंदिर में जाकर पर- हम पूर्णता की खोज के पथ पर है। मात्मा की मूर्ति की पूजा करते समय हम अपने आत्मा स्वरुप की ही पूजा प्रस्तुति : प्रकाशचन्द्र बोहरा, वाडमेर करते हैं और धर्मलतथा अध्यात्म की श्री परमार क्षत्रिय जैन सेवा समाज साधना करते हुए आत्मा की ही आरा- पावागढ-३८९३६०
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