Book Title: Atmanand Prakash Pustak 031 Ank 09
Author(s): Jain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publisher: Jain Atmanand Sabha Bhavnagar

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री जैन श्वेताम्बर समाज से अपील. भूकम्पद्वारा क्षतिग्रस्त तीर्थस्थानों के संस्कार में साहाय्यार्थ. ता० १५ जनवरी १९३४ के भूकम्पने विहार प्रान्तके बड़े २ शहरोंकों धराशायी कर कर दिया जिससे सैंकड़ों ही नहीं, हजारों जाने गई और जनता को करोडों का नुकसान उठाना पडा। श्री श्वेताम्बर जैन समाजके अनेक पवित्र तीर्थ विहार प्रान्तमें है। उन्हें भी इस भूकम्पसे बहुत हानि पहुंची है। वहांके मन्दिरों और धर्मशालाओंकी अत्यधिक क्षति हुई है । श्री राजगृहके मन्दिरमें इतना भारी नुकशान हुवा है कि उसकी मरम्मत सम्भव नहीं । वहांकी धर्मशालाकी दुसरी मंजिल प्रायः धराशायी हो गई और जो हिस्सा खडा है वह निवासयोग्य नहीं है। श्री चम्पापुरीमें एक मन्दिरकी दुसरी मंजिल और शिखर बिलकुल गिर गया है और नीचेकि मञ्जिलकी दीवारें बहुत फट गई है; दूसरे मन्दिरके ऊपरकी मजिलमें चौमुखजीकी दीवार बहुत फट गई है। नीचे भी नुकशान पहुंचा है। धर्मशालामें दूसरी माञ्जिल प्रायः सब गिर गई है और नीचे भी काफी नुकसान हुआ है। श्री पावापुरीमें यद्यपि जलमन्दिर सुरक्षित है, गांव मन्दिरमें चरणोंके ऊपरकी छतरी गिर गई है और मन्दिरके शिखर और दविारोंको भी नुकसान पहुंचा है; शिखरका कुछ भाग गिर भी गया है। नौरतन धर्मशालाका कुछ भाग गिर गया है, दूसरी धर्मशालाको भी नुकसान पहुँचा है। इसी प्रकार लछवाड, क्षत्रीकुंड, काकंदी, कुण्डलपुर, गुणायाजी और श्री सम्मेतशिखरजी आदि में भी हानि हुई है। इन मन्दिरों और धर्मशालाओं के मरम्मत में लाखों रुपयों की आवश्यकता होगी। बरसातका मौसम आ रहा है जिससे यदि शीघ्र मरम्मत नहीं की जायगी तो क्षति और भी बढ़ जायगी । इसी लिये कलकत्ते में श्रीसंघने इस कार्यके लिये एक कमिटी नियत की गई है । उसी कमिटी की और से समस्त श्वेताम्बर जैनबन्धुओं से, संस्थाओं से, मन्दिरों और तीर्थो के दस्टियों, प्रबन्धको इत्यादि से नगरों और गावों के श्रीसंघों से यह अपील की जाति है कि मन्दिरों के जीर्णोद्धार और धर्मशालाओं की मरम्मत इत्यादि के पुण्यकार्य में जी खोल कर सहयोग दें। बिहार ( मगधदेश) की पुण्यभूमि के वे तीर्थस्थान जिस में २५०० वर्ष पहिले भगवान विचरे थे और जिन के वे स्मृतिचिन्ह हैं, जहां आज भी समस्त भारतवर्ष से हजारो श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष यात्रानिमित्त आते हैं,--आज क्षतिग्रस्त है। क्या शीघ्न से शीघ्न श्वेताम्बर जैन समाज इन को क्षतिमुक्त न करेगा? । हमें पुरा विश्वास है कि जैन बन्धुओं को अधिक कहने की आवश्यकता नही हैं। जन समाज में धन की कमी नही है, और वह धन तीर्थस्थानों के जीर्णोद्धार के लिये आने में देर हो-यह हो नहीं सकता। ११६ नोअर, सयुलर रोड बहादुरसिंहजी सिंघी। कलकत्ता. मंत्री-श्रीजैन श्वे. तीर्थभूकम्पजी० कमिटि । For Private And Personal Use Only

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