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श्री. आत्मानं अहाश.
सिताम की तर्फ विहार किया और वहांके धावकोंने पाठशाळा खोलने के लिये चंदा एकत्रित किया आगे श्रीमान् परासीको पधारे और वहांकी तीर्थयात्राकी, फिर वहांसे विहार करके श्रीमान् बड़ोद पधारे और वहां ए० घरवाले आपके समुपदेशसे दृढ़ श्रद्धालु हुए. फिर वहांसे श्रीमान इंदोर पघरे, और वहां श्रावकोंने पंच परमेष्ठि पूजा जाइ और फिर वहां से श्रीमानने कामको तर्फ विहार किया. और बढ़ांपर ऋपिमंगल की पूजा भाइ इ. फिर श्रीमान्को महिदपुरके संघकी विनती होनेसे महिदपुरकी तर्फ वि arr किया. और श्रीमानका नगर में पादार्पण कराने के वास्ते संघ सामने गया. श्रीमान् पोष शुक्ल एकादशीकी इस नगर में पधारे. और यहां के संघने बढी उत्साहसे नगर में प्रवेश कराया. व्याख्यान बाचना शुरु हुआ और श्रीमानक उपदेश से यहां के संघने पाठशाळा खोला. और फिर यहाँके संघने मोक्ष रूपी aari को वरनेके लिये मंदिरकी प्रतिष्ठा माघशुक्ल एकादशी सोमवारको बमी धुमधामसेकी, और माघशुक्ल दशमी के दिन सोनेर । पालखी में मनुको विराजमान करके संघ सहित वरघोड़ा निकला. और स्नाव पूजा जणांइगई. और इसके अलाना प्रतिष्ठाके दिन स्वर्गीय न्यायांजोनिधि जैनाचार्य श्रीमद्विजयानंदमूरि की मूर्तिको स्थापन की, और प्रतिष्ठा महोत्सवपर बड़ोदा, रतलाम, राजगड़, झाला, बमोद बौरे कितनेही नगरोंके सज्जन उपस्थित थे : इस प्रतिष्ठामहोत्सव में अंदाज १६०० रुपएकी उपज हुइ. प्रसंगपर मोदरा वाजे श्रीयुत दलपतनाइ जगजीवनदासजी के तरफ जैन पाठशाला के विद्यार्थीयोकुं हिंद। जैन तत्त्रसार तथा प्रतिक्रमणादिकी पोथीयांका इनाम देने यथा तथा सार्वजनिक हितकर श्राद्धगुण विवरण कि संस्कृत पाकृतमय प्र तियां छपवा के जैन जंमागे तथा लायब्रेरीयांमें भेंट देनेवाल। इनोकी बमी बहेन तथा छोटी बहनने प्रतिष्ठा तथा शांतिस्नात्र समय घृतकी बोली से तथा व्याख्यान वख्त प्रजावना करके लाभ उठाया था. इस महोत्सवकी यादगीरी में जैन लग्नविधि नागरी में बदवाके इसका फैलावा करने का महिदपुर संघ तरफसें मुकरर हो गया. इस प्रतिष्ठा महोत्सवकी धार्मिक क्रिया करानेको ani शेठ गौभाइ तथा छाण] वाले नगीनभाइ आदि चार जण पधारे थे. वगेरे धार्मिक कार्यों हुवा है.
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