Book Title: Atma Prakasha 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Virchandbhai Krushnaji Mansa
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(५१) स्थिति होवे उयांहि जेटलुं मानजो. भोगवी चउदमुं गुण ठाणुं उलंघतां, सिद्ध बुद्ध परमातम श्री भगवान्जो. अ-१२ मन वच काया कर्माएकनी वर्गणा, पुद्गल संगनो जरा नहि संबंधजो. जन्म जर। मरणादिक सहु दृरे गयु, लह्यो अपूर्व आतम कर्म अबंधजो. आविर्भावे भासी गुणनी संतति, सहजानन्दे विचरे आतम भूपजो. पूर्व प्रयोगे गति परिणाम सिद्धमा पहोच्यो चेतन दळी अनादि धूपजो. अ.१४ सादि अनन्ति स्थिति शाश्वत पदतणी, पटकारक परिणमतां तस्व स्वरूपजो. निराकार साकाररुप दो चेतना, चिदानन्द गुणधारक श्रीचिद्रुपजो. सहस्रजिव्हा आयुष्य पूर्वकरोडर्नु, केवल ज्ञानी कहेतां न लहे पारजो. व्यवहार निश्चय नयबेने अवलंबता, बुद्धि सागर शाश्वतपद निर्धारजोः अ-१६
___ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
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