Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 05
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 431
________________ पलटू अजहूं चेत गंवार सपना यह संसार काहे होत अधीर हरि ॐ तत्सत् ॐ शांतिः शांतिः शांतिः एक महान चुनौतीः मनुष्य का स्वर्णिम भविष्य मैं धार्मिकता सिखाता हूं, धर्म नहीं एक एक कदम चल हंसा उस देस कहा कहूं उस देस की पंथ प्रेम को अटपटो अन्य रहस्यवादी भक्ति -सूत्र (नारद) शिव-सूत्र (शिव) भजगोविन्दम् मूढ़मते (आदिशंकराचार्य) एक ओंकार सतनाम (नानक) जगत तरैया भोर की (दयाबाई) बिन घन परत फुहार (सहजोबाई) नहीं सांझ नहीं भोर (चरणदास) संतो, मगन भया मन मेरा (रज्जब) कहै वाजिद पुकार (वाजिद) मरौ हे जोगी मरौ (गोरख) सहज-योग (सरहपा-तिलोपा) बिरहिनी मंदिर दियना बार (यारी) दरिया कहै सब्द निरबाना __(दरियादास बिहारवाले) प्रेम-रंग-रस ओढ़ चदरिया (दूलन) हंसा तो मोती चु” (लाल) गुरु-परताप साध की संगति __ (भीखा) मन ही पूजा मन ही धूप(रैदास) झरत दसहं दिस मोती (गुलाल) जरथुस्त्रः नाचता-गाता मसीहा (जरथुस्त्र) समाधि के सप्त द्वार(ब्लावट्स्की ) साधना-सूत्र (मेबिल कॉलिन्स) ध्यान, साधना, योग ध्यानयोगः प्रथम और . अंतिम मुक्ति रजनीश ध्यान योग हसिबा, खेलिबा, धरिबा ध्यानम् नेति-नेति मैं कहता आंखन देखी . पतंजलिः योग-सूत्र भाग 1 पतंजलि योग-सूत्र भाग 2 प्रश्नोत्तर नहिं राम बिन ठांव प्रेम-पंथ ऐसो कठिन उत्सव आमार जाति, आनंद आमार गोत्र मृत्योर्मा अमृतं गमय प्रीतम छवि नैनन बसी रहिमन धागा प्रेम का उड़ियो पंख पसार सुमिरन मेरा हरि करें पिय को खोजन मैं चली साहेब मिल साहेब भये जो बोलैं तो हरिकथा बहुरि न ऐसा दांव ज्यूं था त्यूं ठहराया ज्यूं मछली बिन नीर । दीपक बारा नाम का अनहद में बिसराम लगन महूरत झूठ सब सहज आसिकी नाहिं पीवत रामरस लगी खुमारी रामनाम जान्यो नहीं सांच सांच सो सांच आपुई गई हिराय बहुतेरे हैं घाट कोपलें फिर फूट आईं फिर पत्तों की पांजेब बजी फिर अमरित की बूंद पड़ी मूलभूत मानवीय अधिकार नया मनुष्यः भविष्य की एकमात्र आशा चेति सकै तो चेति क्या सोवै तू बावरी सत्यम् शिवम् सुंदरम् रसो वै सः सच्चिदानंद पंडित-पुरोहित और राजनेता : मानव आत्मा के शोषक ॐ मणि पद्मे हुम् साधना-शिविर साधना-पथ ध्यान-सूत्रजीवन ही है प्रभु माटी कहै कुम्हार सूं मैं मृत्यु सिखाता हूं जिन खोजा तिन पाइयां झेन, सूफी और उपनिषद की कहानियां बिन बाती बिन तेल सहज समाधि भली दीया तले अंधेरा तंत्र संभोग से समाधि की ओर तंत्र-सूत्र भाग 1 तंत्र-सूत्र भाग 2 तंत्र-सूत्र भाग 3 तंत्र-सूत्र भाग 4 तंत्र-सूत्र भाग 5 तंत्र-सूत्र भाग 6 तंत्र-सूत्र भाग7 तंत्र-सूत्र भाग 8

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