Book Title: Arhat na 34 Atishayo Vishe
Author(s): Trailokyamandanvijay
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 10
________________ अनुसन्धान-५७ जयनाह ईय नाह उम्मीलीऊण उमि(म्मि)ल्लिऊण चउदसभत्तेण मुक्खमणुपत्तो दसहिं सहस्सेहिं समणसहिओ दसहि सहस्सेहि समं निव्वाणगमणकाले ०अयाणेण भत्तिए अयाणएण हियएण आमां घणे ठेकाणे मुद्रित पाठ करतां हस्तप्रतनो पाठ वधु उपयुक्त छे. पण सम्भव छे के मुद्रितवाचना ओ मूळ वाचना होय अने मूळ वाचनामां पाछळथी उचित फेरफार करवामां आव्या होय अने हस्तप्रत ओ परिवर्तित वाचना धरावती होय.

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