Book Title: Arhat Dharm Prakash
Author(s): Kirtivijay
Publisher: Aatmkamallabdhisuri Jain Gyanmandir

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Page 87
________________ (3) पुनर्जन्म की कहानी बरेली। यहां पुनर्जन्म में विश्वास न करनेवाले एक मुस्लिम परि वार में पुनर्जन्म की कहानी प्रत्यक्ष हो गयी । कहते है कि एक मुस्लिम अध्यापक श्री हशमतउल्ला अन्सारी जब इकराम अली नामक एक पुराने जमींदार के यहां पढ़ाने गये, तब उनके पंचबर्षीय पुत्र करीम उल्लाने जमींदार के घर घुस कर उसकी विधवा पुत्रवधू फातिमा का हाथ पकड़ लिया और कहा कि " तुम तो मेरी बीबी हो, फातिमा !" फातिमा बच्चे के मुख से अपना नाम सुन कर बेहोश हो गयी । कहते है कि लड़के की सारी पूर्व स्मृतियां जाग ऊठीं और वह बीना किसी के बताये ही अपरिचित मकान में इस तरह व्यवहार करते हुए कि जैसे उसीका जाना-पहचाना घर हो, पूर्वजन्म की बीबी के भीतरी ऋक्षमें जाकर पूर्व परिचित अपनी कुर्सी पर बैठ गया और फातिमा के श्वसुर को अम्बा - अब्बा कह कर पुकारने लगा । फातिमा पान लगा रही थी, लड़के ने जाते ही कहा, “फातिमा, हम भी पान खायेंगे । " पता लगा कि फातिमा के पति फारूख की मृत्यु. पांच वर्ष पूर्व हुई थी । जब सभी लोग एकत्र हो गये, तब लड़के ने पूर्व जन्म की कहानी सुनाते हुए ऐसी सारी बातें सुनायीं, जो केवल फातिमा और फारूख ही जानते थे ! उसने कहा कि मैंने अपने भाई को, जो पाकिस्तान में है, ५ हजार रुपये भेजे और ३ हजार बैंक में जमा है । उपर्युक्त व्यक्ति लाहोर में व्यापार करता है और फारूख का इरादा भी वहीं रहेने का था, जिसका रहस्योद्घाटन लड़के ने किया । उसने पहेले के भाई उमर आदिल का नाम भी बताया। उसने यह भी कहा कि मेरे श्वसुर के यहां से एक वन्दूक चोरी गयी थी, जो वास्तव में सच्ची घटना है । लड़के की बातें सुनकर उसके पूर्वजन्म के पिताने कहा कि यद्यपि मैं पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करता, तथापि जो आंखों के सामने देख रहा हूँ, उससे इन्कार भी नहीं कर सकता । - टाइम्स ऑफ इन्डीया ( हिन्दी ) ता. २८-६-५८, रविवार

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