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बुद्धि ]
( ४६५)
[भ
Relating to Buddha. ती० ७; महीने का सम्बन्ध रखने वाला. Ccnnected सम्मत्त० ११६.
only for two months.पउम०२२,२८. बुद्धि. ( बुद्धि ) (१) देव प्रतिमा विशेष. | बोकस. पुं. (बोकस) अनार्य देश विशेष. A Intelligent. नाया० १, १, टी; (२) __non-turyan country. प्रव० २७४. छन्द-विशेष. A particular metre. | बोक्लिय. न० (बत्कृत) गर्जन, गर्जना. Roar. पिंग०; (३) तीर्थकरी. A female Tirth- | पउम० ५६, २४, ankara.(४)साध्वी. A. female saint.बोद्ध, त्रि०(बौद्ध) बुद्ध-भक्त. A devotee to राज०; (२) पुं. इस नाम का एक मन्त्री. | Budha. संबोध० ३४.
Name of a minister. उप० ८४४.. बोधिन. नि. (बोधित ) ज्ञापित, अवगमित. बोहिय. त्रि० (बोधित) (१) तीर्थकरी-स्त्री-तीर्थ- Made known, informed. धर्मसं. कर-से प्रतिबोधित. Instructed by the | १०६. Tirthankara. (२) सामान्य साध्वी से | बोधिसत्त. पुं० ( बोधिसत्व) सम्यग् दर्शन का बोधित. Advised by Tirthankra. | प्राप्त प्राणी, अर्हत् देव का भक्त जीव, A soul राज०; -सिद्ध. पु. (सिद्ध) बुद्धि में सिद्ध- having right belief. मोह०३. हस्त, संपूर्ण बुद्धि वाला. Perfect, well- | बोलिअ. त्रि. (बोडित ) डुबाया हुआ. Imversed, learned. श्रावम०; -सुंदरी. | mersed, drowned. धजा. १८. स्त्री०(सुन्दरी) एक मन्त्रि-कन्या. Daughter बोल्लण. त्रि. (कथयितृ ) बोलने के स्वभाव _of a minister. उप० ७२८ टी.
वाला. Talkative. हे. ४, ४४३. बुद्धिल. पु. (बुद्धिल) एक स्वनाम ख्यात श्रेष्टी. बोल्ला, स्त्री० ( कथा ) वार्ता, बात. Tale,
Name of a wealthy man. AETO story. उप०१०१५. बुभुक्खा . स्त्री० (बुभुक्षा) भूख, खाने की इच्छा. बोल्लिअ. त्रि० ( कथित ) (१) उक्त. Said,
Desire to eat, hunger. अभि० २०७. told. (२) न० उक्ति. Speech. भवि० हे. बसिपा. स्त्री० (बुसिका) यव आदि का कंडगर, ४, ३८३. भूसा. Chaft of barley etc. दे. २, बोहिश्र. पु. ( बोथिक ) चुराने वाला, चोर,
Thief. निसी चू० १; चेइय० ४४६. बुहुक्खिअ. त्रि०(बुभुक्षित) भूखा, Hungry, बोल्लश्र. पु. (कथन) बोल, कथन. Word. starving, pinched with hunger. गा० ६.३. कुमा०
बोल्लाविय. त्रि. (कथित ) बुलवाया हुआ. बेमासिय. त्रि० (द्वैमासिक ) दो मास का, दो | Called. स० ४६१, ६६६.
भ. पुं० (भ) (१) श्रोष्ट स्थानीय व्यञ्जन वर्ण | on poetry. पिंग० (३) न० नक्षत्र. A विशेष. A particular palatal con- constellation. सुर०१६, ४३. -श्रार. sonant. प्राप० प्रामा०; (२) पिंगल-प्रसिद्ध । पु. (कार) (१) 'भ' अक्षर. The word
आदि गुरु और दो हस्व अक्षरों की संज्ञा, भगण. 'भ' (२) भगण. A particular metre Mentioned in Pingala’s treatise having long and short, short
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