Book Title: Arddhmagadhi Agam Sahitya Ek Vimarsh
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Shwetambar_Sthanakvasi_Jain_Sabha_Hirak_Jayanti_Granth_012052.pdf

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Page 10
________________ प्रो. सागरमल जैन श्रुत (आगम) (क) अंगप्रविष्ट (ख) अंगबाह्य (क) आवश्यक (ख) आवश्यक व्यतिरिक्त 1. आवारांग 2. सूत्रकृतांग 3. स्थानांग 4. समवायांग 5. व्याख्याप्रज्ञप्ति 6. ज्ञाताधर्मकथा 7. उपासकदशांग 8. अन्तकृत्दशांग 9. अनुत्तरौपपातिकदशांग 10. प्रश्नव्याकरण 11. विपाकसूत्र 12. दृष्टिवाद 1. सामायिक 2. चतुर्विंशतिस्तव 3. वन्दना 4. प्रतिक्रमण 5. कायोत्सर्ग 6. प्रत्याख्यान (क) कालिक (ख) उत्कालिक 1. उत्तराध्ययन 2. दशाश्रुतस्कन्ध 3. कल्प 4. व्यवहार 5. निशीथ 6. महानिशीथ 7. ऋषिभाषित 8. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति 9. दीपसागरप्रज्ञप्ति 10. चन्द्रप्रज्ञप्ति 11. शुल्लिकाविमान -प्रविभक्ति 12. महल्लिकाविमान -प्रविभक्ति 13. अंगचूलिका 14. वग्गचूलिका 15. विवाहचूलिका 16. अरुणोपपात 17. वरुणोपपात 18. गरुडोपपात 19. धरणोपपात 20. वैथ्रमणोपपात 21. वेलन्धरोपपात 22. देवेन्द्रोपपात 23. उत्थानश्रुत 24. समुत्थानश्रुत 25. नागपरिज्ञापनिका 26. निरयावलिका 27. कल्पिका 28. कल्पावतंसिका 29. पुष्पिता 30. पुष्पचूलिका 31. वृष्णिदशा 1. दशवैकालिक 2. कल्पिकाकल्पिक 3. चुल्लकल्पश्रुत 4. महाकल्पश्रुत 5. औपपातिक 6. राजप्रश्नीय 7. जीवाभिगम 8. प्रज्ञापना 9. महाप्रज्ञापना 10. प्रमादाप्रमाद 11. नन्दी 12. अनुयोगद्धार 13. देवेन्द्रस्तव 14. तन्दुलवैचारिक 15. चन्द्रवेध्यक 16. सूर्यप्रज्ञप्ति 17. पौरुषीमंडल 18. मण्डलप्रवेश 19.विद्याचरण विनिश्चय 20. गणिविद्या 21. ध्यानविभक्ति 22. मरणविभक्ति 23. आत्मविशोधि 24. वीतरागश्रुत 25. संलेखणाश्रुत 26. बिहारकल्प 27. चरणविधि 28. आतुरप्रत्याख्यान 29. महाप्रत्याख्यान 10 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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