Book Title: Anuyogadwara Sutra
Author(s): Aryarakshit,
Publisher: ZZZ Unknown
View full book text
________________
वस्तुनाकरीकहिए
बिपन्नत्रे/तंदा | पडिवाश्यं पडिवापय । श्रदरका यरितं रापमा' विदेपन श्रनुपछतं कदा मधेय केवलीयासतंत्र मासेवमासेतं गुणप माणे! जे मिकिं तनयप्पमाणे रसन्न विपन्नते। तदा । एागमे से गदेव बहारेंन कस समलिहावंचूप से किं तसा गर्मेतिवि हैपन्नते। तंऊदा पञ्चगदिते। बसा इरदिहात एए संदिहांत एं/सेकिएछ, गविते पर से ऊदानामयंकेश्वर पराविद्या तंत्रा केश्या सिता/बाक दिवंग विद्यापगमलापत्रस्गब मि तच केचिंदमा या सिवान प द्या। किंत बंद मिश्रित गामांत पधगंविदामि तचकित विमारी पेक्षा किंतु बसि राजमोलाइ पत्रगतामिती किरमाणी पासिताया कि सर्वन कि रिसिबि६तरावर गमो पत्र किरामितंचकेइ लिदमाएं| पसिनाबचा कितवे लिदसि । विश्वतराजयोगमो सपाईप वलिदा मि
५२

Page Navigation
1 ... 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112