Book Title: Anuttaraupapatik Dasha Sutra Author(s): Shweta Jain Publisher: Z_Jinavani_003218.pdf View full book textPage 6
________________ SHARER .i manal अनुत्तरौपपातिकदशासूत्र : इसी प्रकार सभी जीवों को अपने लक्ष्य की ओर निरन्तर उन्मुख होना चाहिए। मंजिल प्राप्ति में चाहे कितने ही काट आएँ, किन्तु उनसे विचलित न होकर सदैव बढ़ते रहना चाहिए। 4. जालिकुमार आदि 33 साधकों द्वारा 11 अंगों का ग्रहण विनयपूर्वक किया गया। विनयपूर्वक अध्ययन किया हुआ ही सफल हो सकता है। विनययुक्त ज्ञान से परिपूर्ण आत्मा ही अन्य आत्माओं का उद्धार करने में समर्थ हो सकती है। अत: "विणओ धम्ममूलं' कहा गया। इस प्रकार अनुतरौपपातिक सूत्र में 33 महापुरुषों का परिचय दिया गया है। यह वर्णन प्राचीन समय की सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक स्थिति को प्रकट करता है। अतएव ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह महत्त्वपूर्ण है। ___-शोध छात्रा, संस्कृत-विमाग जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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