Book Title: Anukampadan
Author(s): Yugbhushanvijay
Publisher: ZZZ Unknown

Previous | Next

Page 11
________________ 7 --- छें, डिया सला:- सूजी वधारे थे काहे कांचक हःजनु डारला थे, सहकार्य क सुजनु डारण जनक তिहाननी વ્યાપકતા ઘણી જ બતાવી છે. બીજ सीधी डे साड्डतरी इति दानधर्मन प्रवेश पायो हाननो अर्थ केटली सारी ढथी हितकारी थीके ति ४ जहधी हानमा जायचा योग्य उहीँ लेना चहा त्रा प्रकार चाड्या छे हान डयुं छें १) ज्ञानहान श्रेष्ठ २) खल्यहान 3) हान्थी धता सार्यो. Eden - - साथ उच्चारानो मार्ग जलावे झुाली द्वारा कांतने छे. श्रेष्ठहान तेखो थेने गदाधरों या तेक च्छी साधु महात्मा या ते४ वाली द्वारा घूमाली छे छे. પાછ્ पैसाथी खयालु हान धनुं भू हसबु ज्ञान रखने पाछु साँधडू ज्ञान के सेवावु के आत्माने हितकारी होय. मिथ्या ज्ञानतो सामनाने पायमास हरी नायरो, माई सम्ब छज्ञान के. जीवु अलवहान साहे थे, यहां ने यहां जानने हाननी अपेक्षा खे હલક छ. सेवानु समय खेटले निर्लय बनाये लेमा निर्लचता जेनी लेवानी 2 तो डहे आहानीक निर्वाचना बेवावी छे, मागने चोला आपली साधु वहाला होय छ, सुजन सामग्री हःजुनी सामग्री गमती नही मारेल मृत्युधी गलरांधेचे बीजे, कृपया खातर अधु ४

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 400