Book Title: Antagada Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 55
________________ जीवलग नरंतरपण तपनक रश्करी तिमेजादशीचा उरुं श्राणि स्वित्तेतवोक मे एहवा हनी अंगीकार जावजीवलग यावत् विचरई श्रयमेतारुवं निग्रहं उगेस्ट्ति जावजी दाए जाव विहरति तते मे ते अणणारे ब कर माजी पार CaÄ फिर पुरुष नाका मोटा जन चारक मोरसी सजा कर करीन जीन ज्ञातमी यावत्थामतिवारते अन गाश्नी राजगृहनगर গাছু पार एासंसि पदमा एयोरसिएसझायंकरेतिजदा गोतमसामी जावअडेति ततेांत्तं श्रवणयंत्र लगारं रायगिटेल अनी यात्राकमधली सी योवान् इमोमा एलियामा हरीतिमा स्त्री उच्चनीय जातमा बढ़ी रिसाय उदायमवाय जूदाय एवंव्यासाइमा सेमेधितामारिया इसी पानी ये मोहरीमा सापारी भाईबहनमारी नामामारी बैंक अली माहरा ने एसा संबंधी परीवारमा इमदी इमेलमे मातामारिया सायासाला सत्ता या सुदा इमे मे तर मयासंबंधी रियलमारेतितिक री एकएकजीक अशी सएक्वनई एकैकहिलेली निंर जाति रहकोदो अंगुली ती वारइते मनमा असार तेस अप्पमइया की संति अपहिती निंदूंति खिंसति गरदितितति तते एसे चलते अल गरिदिने माकोसीता एकी यावत् तादीताकाते जो कसर मकरी निपली श्रीदिय परिसेदिय डहरेदिय म हवे दियाज वालए दिय से माण जाव तालेमाले तिमिल देषण करतां की सम्प यह बाजा सम्पर्क षमविप्रेष सम्म महियाच अम्पअशोध महांका अहियासह सावि श्रपसरसमारी समसहति समख्म तित्तिरवर दियास समसद्मा स्वमतितिरक अहिया से रा राजगृहनगरमा हिउंच नीव दिवलश्कल फरशांकानातील "तोपाली नीमलई अध्वा पाणी मिलर तोनात निमि यमिहनारे उच्चनीय मझिमऊला अडमा जङ्गललसति तो पाला पेनलनति श्रपाल तीसनल ร่ करी इयॉन माहे คล ज्यांना m क्री For Private & Personal Use Only Education national पार सामानी जाती की वीर श्मीचाश्करीन अण्णापं जावेमापुरम विहरिशएत्तिक्कहु तिवारइते माजी सा बद nelibrary.org

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