Book Title: Antagada Sutra
Author(s): Sudharmaswami, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 71
________________ Jain Educat सर्व उपवास सर्व नारी करेतिता सकाम में करेतिस्तासह काम करेतिता सबका मलाये पारेति २ करेतिरता सर्वली जी मजपरिवामी जीमजवरीवाडी एककी चेकिं उमास एक उपवास करद सच कामश्च शंकरेतिश्ता सकाम२ तदेव चत्तारी परिवाडी एकाएपरिवाड़ीए तमासा सत्य दिवसा चल्द અનીતાલીદિન यावत्सक श्री मो अध्ययन संम्म र इमानीएसजी महालय सिंघजी की नायि सेब दोवरिया ग्रहावी सायदिवसा जावसिहा तासमानं ३ एवंकटावि नवरं मदालसीदनिकलियतवो नीकारक हो। जिम माणसिं तीव्रजन हामिनी लीलोसिप तीव्रजत एक पंक्ति वरम उत्तास वासउनि कहिया जातु २३१वासक उपवास सारनीय विद 221 हरिपरिवामीना सपना सजि कम जदेव खुड्ग नवरं चीता समजावनेयचं तदेव सारेयचं एका एव रिसंतमासा श्रकार सय दिवसा च एवं बिमास महराजी सर्व अधिकारीका यावत् सिध्ई सीती अनादी अध्यारोली दरिसा दोमासा बारसयडाहोरता से संज हाकालीए तदा जावन सिचय समतं ४ एवं कष्टादि न a पी शो बीसे सततमिशा साकनीतीज्ञा आदर्शन विवर प्रधुमात सीम एकेकीनीजननी दातीन एकेकी पा A ની नवर स शती वरंसज्ञसत्तमिय निरकुपडिमं जनसंपतालविहरति पटमत्तेसत्तते एकेकनीयणं सद्दतिपडिगादेति एक्केकेयाण तेजीजीसी बेबे विदेशालीनीति सीइ मानसात કીનીસાદી રીોિનનગીત રીસિપાત્ર સોનમનીતની સી. यस्म दोबेसज्ञए दोदोसोय णस्स दोशवालयस्स पडिगादेति सबेसत्तर तिन्लिनीय पंचमेलके सतएसत्तरद सातर एलीनीदाति इमनिधि इम मत समीया साहनी प्रति एक्से દિલી श्रीजननी जीपू रानी पूरी फूई ज्ञा ज्ञान तोय (परमपडिगदिति सत्त २ पापयस्स एवं एवंसत सत्तमियं निखुपदिमं पऊ लयाए रातिदिए दिली एक अनि श्रीज्ञानीतीक यथोक प्रकारीया पूरीद्वारा जीहा चंदना न्यावी श्रार्या वांद आर्या सी वत् 咬 लय अपन एवं निवासते चहासुदं जाव मारा हैजा जेणेव अहानंदला ते उज्ञानंद श्र norary.org

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