Book Title: Annikaputra Charitram
Author(s): Shubhshil Gani
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हा मूल | पुरस्सरं श्रीदेवगुरुभक्ति करोतिस्म, उभयकालं प्रतिक्रमणं च कुर्वन् त्रिसंध्यं जिनपूजामकरोत्. क्रमाद् वृद्धअभिकापुत्र है भावं प्राप्तः सन् वपुत्रं राज्ये निवेश्य स्वयं कृताराधनः पंचत्वं प्राप्य स्वर्ग जगाम, क्रमेण स मुक्तिमपि चरित्रम् यास्यति. ॥ इति श्री अन्निकापुत्राचार्यचरित्रं समाप्तं ॥ श्रीरस्तु॥ आ ग्रंथ श्री जामनगर निवासी पंडित श्रावक हीरालाल हंसराजे स्वपरना श्रेयमाटे श्री शुभशीलगणीजीए रचेला कथाकोषमाथी उद्धरीने तेनी मूलभाषामां वनता प्रयासे सुधारो वधारो करीने पोताना श्री जैनभास्करोदय छापखानामां छापी प्रसिद्ध कयों छे. 5ACCORK For Private and Personal Use Only

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