Book Title: Anitya Bhavana
Author(s): Indradinnasuriji
Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ जग माया से तुम नहीं लुभाना, आतम राम सयाने । अजर-अमर तू सदा नित्य है, जिन धुनि यह सुनि काने । संसार का प्रत्येक दृश्य और पदार्थ परिवर्तित होता रहता है । इतिहास इन परिवर्तनों का दस्तावेज होता है । ये सभी परिवर्तन आदमी की आंखों के सामने होते हैं। जो प्रात: काल के समय दिखाई देता है, वह दुपहर को दिखाई नहीं देता और जो दुपहर को दिखाई देता है वह शाम को दिखाई नहीं देता और जो शाम को दिखाई देता है वह रात को दिखाई नहीं देता । प्रात: दुपहर, शाम और रात परिवर्तन के प्रत्यक्ष उदाहरण है । यौवन उसी तरह शरीर से ढल जाता है जैसे देखते ही देखते दुपहर ढ़ल जाती है। जीवन का उसी तरह अन्त हो जाएगा, जैसे सूर्यास्त होता दुःख की बात यह है कि मनुष्य को कल का भरोसा नहीं होता। यह कोई नहीं कह सकता कि कल क्या होगा? केवल सर्वज्ञ भगवान को छोड़ कर । सभी का भविष्य अनिश्चित होता है। कहा भी जाता है न जाने जानकीनाथ । प्रभात किं भविष्यति । बड़े-बड़े ज्योतिषियों ने राम के राज्याभिषेक का मुहूर्त निकाला । घोषणा हो गई कि कल राम का राज्याभिषेक होगा। राम अयोध्या के राजा बनेंगे। इस समाचार ने चारों और आनंद का साम्राज्य फैला दिया। इस राज्याभिषेक को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आए । राज्याभिषेक की पूर्ण तैयारियाँ हो चुकी थी । केवल एक रात बीच में थी। सभी बेसब्री से प्रात: काल होने का इंतजार करने लगे। रात बीती । सूर्योदय भी हुआ, पर राम के राज्याभिषेक के स्थान पर उन्हें वनवास हो गया। एक रात ने राज्याभिषेक के आनंद को वनवास के विषाद में बदल दिया। मनुष्य के ममत्व का एक और महत्त्वपूर्ण स्थान है- उसका शरीर । आदमी अपने शरीर की साज-सज्जा से ही ऊपर नहीं उठ पाता। उसके जीवन का आधा हिस्सा दर्पण के आगे बितता है। रूप सज्जा के इस क्षेत्र में आजकल का महिला समाज सबसे आगे है। बाजार की दूकानें ब्यूटी के तरह-तरह के साधनों से भरी रहती हैं। शहरों में इस शरीर की सुन्दरता को और आकर्षक बनाने के लिए ब्यूटी पार्लर चलते हैं । पत्रकार लोग सौंदर्य विशेषांक निकालते हैं, पर ब्यूटी के वे अधिकतर प्रसाधन जीवों की हिंसा से बने होते हैं । तरह-तरह के ये पाऊडर, क्रीम, शेम्पू, साबुन, लिपस्टिक और सिल्क आदि न जाने कितनी ही चीजें हैं शरीर की सुन्दरता बढ़ाने के लिए। लोग इन चीजों का प्रयोग खुल कर करते हैं । वे लोग यह भूल जाते हैं कि ये चीजें असंख्य, मूक निरीह प्राणियों के खून से रंगी हुई हैं । यह होठों पर लगा लिपस्टिक, लिपस्टिक नहीं है यह प्राणियों का अनित्य भावना ३५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14