Book Title: Angavijja ma Nirdishta Bharatiya Greek Kalin ane Kshatrap kalin Sikka Author(s): H C Bhayani Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 1
________________ [83] 'अंगविज्जा 'मां निर्दिष्ट भारतीय ग्रीक - कालीन अने क्षत्रपकालीन सिक्का - ( १ ) सद्गत मुनि श्रीपुण्यविजय वडे संपादित प्राकृत ग्रंथ 'अंगविज्जा' (प्राकृत ग्रन्थ परिषद, क्रमांक १, १९५७) मां ईसवी चोथी शताब्दीनी (तथा तेनी पूर्ववर्ती बेत्रण शताब्दीओनी), जीवननो भाग्ये ज कोई प्रदेश बाकी रहे तेवी अढळक शब्दसामग्रीनो संचय छे. अने संपादके मोटा कदना ८७ जेटलां पृष्ठोमां सविस्तर वर्गीकृत शब्दसूचि आपीने अभ्यासीओने घणी सगवड करी आपी छे. ह. भायाणी 'अंगविज्जा' मां एक स्थाने धनने लगती विगतो आपतां सुवर्णमाषक, रजतभाषक, दीनारमाषक, णाण (?) मासक, कार्षापण, क्षत्रपक, पुराण अने सतेरक एटला सिक्काओनो निर्देश छे (पृ. ६६, पद्मांक १८५-८१६). बीजा एक स्थाने आ उपरांत अर्धमाष, काकणी अने 'अट्ठा'नो निर्देश छे. अन्यत्र पण बे स्थाने सिक्काओनो उल्लेख छे (पृ. ७२, १८९). आ सिक्काओनुं ग्रंथनी भूमिकामां सद्गत वासुदेवशरण अग्रवाले जे सविस्तर विवरण आप्युं छे ते इतिहासरसिकोना ध्यान पर आवे ते माटे नीचे उद्धृत कर्तुं छे. 'मौर्यकालथी गुप्तकाल 'मां ('गुजरातनो राजकीय अने सांस्कृतिक इतिहास', ग्रंथ २, १९७२) रसेश जमीनदारे आमांथी काहापणनो (पृ. १७७) तथा भोगीलाल सांडेसराए काहावण, खत्तपक अने सतेरकनो (पृ. २२७) उल्लेख कर्यो छे. 'अंगविज्जा' ना पांचमा परिशिष्टना बारमा विभागमां पृ. ६६ तथा ७२ उपर निर्दिष्ट सिक्काओनी सूचि आपी छे. Jain Education International जमीनदारे 'प्राक्- गुप्तकालीन भारतीय सिक्काओ मां (१९९८), पृष्ठ १३४ उपर 'अंगविज्जा' मांथी काहापण अने खत्तपकनो निर्देश कर्यो छे. तेमणे जणाव्युं छे तेम 'विद्यापीठ' द्वैमासिकमां केरलांक वरस पहेलां प्रकाशित लेखमाळा एमना ए पुस्तक रूपे हवे सुलभ बने छे. एंमा लेखके सिक्काविज्ञान विशे तथा भारतीय सिक्काशास्त्र विशे सामान्य माहिती आपने पछी चिन्हित संज्ञा वाळा सिक्काओ, नगर, गण अने जनपदना सिक्का तथा विदेशी शासकोना सिक्का विशे व्यवस्थित माहिती आपी छे. आथी सिक्काशास्त्रने लगता साहित्यनी गुजरातीमां अभाव जेवी दशामां एक प्रमाणत पुस्तक लेखे एवं मूल्य उघाडुं छे. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8