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समीक्षा - 'निष्कम दीप शिखा'
लेखक- प. श्री पद्मचन्द शास्त्री, एम.ए. जैनदर्शनशास्त्री, वेद-व्याकरण तीर्थ, सम्पादक 'अनेकान्त' वीर सेवा मंदिर, दरियागंज, दिल्ली सम्पादक - डा. श्री प्रेमचन्द जैन 'आशा- निलय', नजीबाबाद (उ.प्र.)
संस्करण - प्रथम - 2006, मूल्य 20/-, पृष्ठ संख्या-396 प्रकाशक- वीर सेवा मंदिर, 21, दरियागंज, नई दिल्ली-110002 ज्ञानवृद्ध, वयोवृद्ध, अनुपम श्रुताराधक, जैनगम मर्मझ, प्राकृत- संस्कृत- अपभ्रंश प्राच्य भाषाओ के ज्ञाता, अद्भुत मनीषी पुरानी पीढ़ी के प्रकाण्ड पंडित श्री पद्मचन्द जी शास्त्री, दिल्ली, द्वारा जैनागम के आलोक मे लिखित 33 सुलेखों का सुव्यस्थित संकलन इस कृति में है । विविध विषयो पर लिखित में आलेख विभिन्न पत्रो मे पूर्व मे प्रकाशित हुए हैं, जिन्हे सुयोग्य सम्पादक मनीषी विद्वान डॉ. श्री प्रेमचन्द्र जी ने सुव्यवस्थित रीति एवं क्रम से नियोजित कर इस कृति को आकार दिया है। पंडित जी द्वारा लिखित प्रस्तुत आगम सम्मत विविध विषय जिज्ञासु प्रबुद्ध पाठको के लिए एकत्र सुलभ हो गये है। यह पुस्तकाकार रूप सकलन डॉ. श्री प्रेमचन्द जी के अथक प्रयास का ही सुफल है।
ये आलेख गवेषणात्मक व ज्ञानवर्द्धक है, तथा प्रामाणिक उद्धरणों के साथ परिश्रमपूर्वक लिखे गये है। प्राय. सभी आलेख अपने आप में पूर्ण हैं। किसी एक विषय को पूर्णत: स्पष्ट विश्लेषित / प्रकाशित करते हैं। आगमानुकूल है, दिशाबोधक और प्रेरक हैं। जैन जैनेतर सभी वर्गो के जिज्ञासुओ को जैन एवं जैनत्व के भिन्न-भिन्न सत्य तथ्यों की प्रामाणिक जानकारी देते है । ये जिज्ञासुओं की जिज्ञासाओं का शमन करने में सक्षम, सभी के द्वारा पठनीय, प्रबुद्ध वर्ग द्वारा समादरणीय जीवन्त ऐतिहासिक दस्तावेज हैं। देश-विदेश के प्रत्येक पुस्तकालय, वाचनालय, शास्त्र-भंडार और जिनालयों में आगामी पीढ़ी को मार्गदर्शन एव ज्ञानवर्धन हेतु सरक्षणीय है।
कार्ययोजक श्री रूपचन्द जी कटारिया, प्रकाशक - वीर सेवा मन्दिर दिल्ली, के महासचिव श्री सुभाषचन्द जी, सम्पादक डॉ. श्री प्रेमचन्द जी एवं अन्य सभी सहयोगी जन इस पुस्तकाकार कृति के प्रकाशन हेतु धन्यवादार्ह है। आदरणीय पंडित जी सा. तो अद्भुत पांडित्य के धनी हैं ही। उनके प्रति हम श्रद्धावनत हैं।
अभय कुमार जैन ( पूर्व प्राचार्य) कानूनी वार्ड, बीना 470113 म. प्र..
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