Book Title: Anchalgacchiya Acharya Merutung evam Unka Jain Meghdoot Kavya
Author(s): Ravishankar Mishr
Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_2_Pundit_Bechardas_Doshi_012016.pdf

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Page 13
________________ अञ्चलगच्छीय आचार्यमेरुतुङ्ग एवं उनका जैनमेघदूतकाव्य 125 सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूची 1. जैन धर्म-पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री, प्रकाशक-भारतीय दिगम्बर जैन संघ, चौरासी, मथुरा ( उ. प्र.); पञ्चम संस्करण; सन् 1975 / 2. अञ्चलगच्छ दिग्दर्शन-श्रीपार्श्व प्रकाशक-श्री मुमुक्षु अञ्चलगच्छ जैन समाज, गोविन्द कुञ्ज, नेहरू रोड, मुलुण्ड, बम्बई-८०; प्रथम संस्करण; सन् 1968 / 3. श्रीपट्टावलीपरागसङ्ग्रह-पं० कल्याणविजयगणि; प्रकाशक-श्री० क० वि० शास्त्रसङ्ग्रह समिति, शा० मुनिलाल जी थानमल जी, श्रीजालोर (राज.); प्रथम संस्करण; सन् 1966 / 4. प्रबन्धचिन्तामणि-आचार्य मेरुतुङ्ग (प्रथम); प्रकाशक-सिन्धी जैन ज्ञानपीठ, शान्ति निकेतन (बङ्गाल); प्रथम संस्करण; सन् 1933 / 5. जैनमेघदूतम्-आचार्य मेरुतुङ्गः सम्पादक - श्रीचतुरविजयमुनि; प्रकाशक- जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर; प्रथम संस्करण; सन् 1924 / 6. महाकवि कालिदासकृत मेघदूत और जैनकवि मेरुतुङ्गकृत जैनमेघदूत का साहित्यिक अध्ययन-लेखक का पी-एच० डी० शोध-प्रबन्ध; उपलब्ध-पा० वि० शोध संस्थान, वाराणसी-५ / 7. संस्कृत के सन्देश-काव्य-डा० रामकुमार आचार्य प्रकाशक-डा० रामकुमार आचार्य, संस्कृत विभाग, राजकीय कालेज, अजमेर; प्रथम संस्करण; सन् 1963 / 8. संस्कृत काव्य के विकास में जैनकवियों का योगदान-डा० नेमिचन्द्र शास्त्री; प्रकाशक-भारतीय ज्ञानपीठ, 3620 / 21 नेताजी सुभाष मार्ग, दिल्ली-६; प्रथम संस्करण; सन् 1971 / 9. श्री आर्य कल्याण गौतम स्मृति ग्रन्थ -(सम्पादक) मुनि श्रीकलाप्रभसागर जी, बम्बई / 10. The Indian Sect of the Jainas--J. G. Buhler; Publisher-Luzac of Co, 46, Great Russell Street, London; 1903. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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