Book Title: Alankarsarvasva
Author(s): Girijaprasad Dvivedi
Publisher: Pandurang Javaji

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Page 289
________________ ... 47 100 65 ___ 113 190 . वृषपुंगवल रक्कच्छदवं विदलितसकला , ... रंथस्थितानां विद्वन्मानस रोजति तटीय विनयेन विना राजनराजसुता विभिन्नवर्णा 214 राज्ञो मान वियोगे गौड राज्ये सारं. रेहइ मिहि विलयन्ति विलसदमर लावण्यद्रविण विलिखति विसृष्टरामा लावण्यौकसि विस्तारशालिनि . ... लिम्पतीव तमो लोकोत्तरं शरदीव शैशी दिवस वक्रस्यन्दि ... ... 218 शुद्धान्तदुर्लभ ... ... 99 वंदनसौरभ शैलेन्द्रप्रतिपाद्य सुरहितेन ... ... 222 वामेन नारी . ... ... . 240 | से एकस्त्रीणि ... ... 161 विजये कुशल ... ... 222 / संकेतैकाल ... ... 218 1. विक्रमाङ्कदेवचरिते / 2. राजानकरत्नाकरस्य हरविजये। 3. वेणीसंहारे / 4. रुद्रटस्य काव्यालंकारे / 5. औचित्यविचारचर्चायां बौद्धस्य धर्मकीतेः। 6. खण्डप्रशस्तौ / 7. भासकवेः चारुदत्तनाटके, मृच्छकटिकेऽपि / 8. वालरामायणे / 9. शिशुपालवधे। 10. सूर्यशतके मयूरस्य / 11. मयूरस्य / 12. रुद्रटस्य काव्यालंकारे। 13. मयूरस्य / 14. शिशुपालवधे। 15. नवसाहसाङ्कचरिते। 16. कुमारसंभवे। 17. नवसाहसाङ्कचरिते / 18. भर्तृहरेनीतिशतके / 19. अभिज्ञानशाकुन्तले। 20. ध्वन्यालोकलोचने। 21. ध्वन्यालोके / 153 9 . 218

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