Book Title: Alankarsarvasva
Author(s): Girijaprasad Dvivedi
Publisher: Pandurang Javaji

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Page 287
________________ .... धावत्त्वदश्व धृतधनुषि . 10 19 74 46 140 .... 19 ... ... 178 107 8 90 पश्यामः किमियं ... ... पाण्ड्योऽयमंसा ..... पातालमेत . पीयूषप्रसूति ... पृथ्वि स्थिरा 172 | पुराणि यस्यां पुष्पं प्रवालोप पूर्णेन्दोः परि प्रभामहत्या, प्रसरद्विन्दु प्रसर्पत्तात्पर्य .. प्रसीदेति प्राप्याभिषेक ..... प्रायः पथ्यप ..... प्रासादे सा ... ने तजलं नैन्वाश्रय निमेषमपि निरर्थकं निरीक्ष्य विद्यु नि नान्य निशासु भाख . नीतानामा .. नेरिवोत्पलैः नो किंचित्कथ न्यश्चत् कुञ्चित 33 191 115 201 172 150 101 .. .28 पथि पथि |बाणेन हत्वा परहिअअं 166 / बालअणाहं 147 परिच्छेदातीतः बिभ्राणा हृदये पर्यको राज ब्रूमः कियनय ... पशुपतिरपि ... ... 197 पश्यत्सूद्गत ... ... 163 | भक्तिप्रहविलो ... ... 199 पश्यन्ती त्रपयेव. ... ... 116 / भक्तिर्भवे ... ... 194 1. भट्टिकाव्ये / 2. भलटशतके। 3. विक्रमाङ्कदेवचरिते / 4. पाणिनेः / 5. भवभूतेर्मालतीमाधवे / 6. कुमारसंभवे / 7. रघुवंशे। 8. नवसाहसाङ्कचरिते। 9. वालरामायणे। 10. नवसाहसाङ्कचरिते। 11. कुमारसंभवे / 12. कुमारसंभवे। 13. अमरुशतके। 14. विक्रमाङ्कदेवचरिते / 15. सुभाषितावलौ भागवतामृतवर्धनस्य /

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