Book Title: Alankarik Drushti se Uttaradhyayan Sutra Ek Chintan
Author(s): Prakashchandramuni
Publisher: Z_Umravkunvarji_Diksha_Swarna_Jayanti_Smruti_Granth_012035.pdf
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चतुर्थ खण्ड / १०४
लोह-भार के समान साधु के गुणों का महान् गुरुतर भार है । उपमालंकार ! गाथा ३७-आगासे गंगसोउव्व, पडिसोओ व्व दुत्तरो।
बाहाहिं सागरो चेव, तरियव्वो गुणोयही ॥ जैसे आकाशगंगा का स्रोत और प्रतिस्रोत दुस्तर है। जिस प्रकार सागर में . भुजाओं से तैरना दुष्कर है वैसे गुणोदधि-संयम के सागर में तैरना दुष्कर है ।' –उदाहरण। यमक तथा 'गुणोदहि' में रूपक ।
गाथा ३८-संयम बाल रेत के कवल के समान स्वादरहित है। तप का आचरण तलवार की धार पर चलने के जैसा दुष्कर है। -उदाहरण तथा यमक ।
गाथा ३९-सांप की तरह एकाग्र दृष्टि से चारित्रधर्म में चलना कठिन है। लोहे के यव-जौ चबाना जैसे दुष्कर है वैसे ही चरित्र का पालन दुष्कर है। -उदाहरण, उपमा ।
गाथा ४० -जैसे प्रज्वलित ज्वाला को पीना दुष्कर है वैसे ही युवावस्था में श्रमणधर्म का पालन दुष्कर है। - उदाहरण अलंकार।
गाथा ४१-जैसे वस्त्र के कोत्थल थैले को हवा से भरना कठिन है, वैसे ही कायरों के द्वारा श्रमणधर्म का पालन । यमक उदाहरण तथा असंभव अलंकार है। गाथा ४२-४३--'जहा तुलाए तोलेउ, दुक्करं मन्दरो गिरी॥४२॥
'जहा भुयाहि तरिउं, दुक्करं रयणागरो ॥ ४३ ॥ जैसे मेरु को तराजू में तोलना दुष्कर है । उदाहरण तथा असंभव व यमक ।
जैसे रत्नाकर को भुजा से पार करना कठिन है । यमक, उदाहरण, असंभव तथा रूपक [दमसागरो].
गाथा ४७–'जम्माणि मरणाणि' में छेकानुप्रास तथा 'जरा-मरण-कतारे'-जरा-मरण रूप जंगल, में रूपक अलंकार ।
गाथा ५१-महाभयंकर दावाग्नि के तुल्य मरु प्रदेश में 'महादवग्गिसंकासे' में उपमालंकार।
गाथा ५४–'महाजन्तेसु उच्छू वा' ईख की तरह बड़े-बड़े यंत्र । उपमालंकार ।
गाथा ५६---'असीहि अयसिवण्णाहिं, भल्लोहि पट्टिसेहि य' यहां छेकानुप्रास को दर्शा रहा है । तथा तलवार अलसी के फूलों के समान नीले रंग की, इसमें उपमा।
गाथा ५७-'रोज्झो वा जह पाडिओ' रोझ (पशु) की भांति पीट कर भूमि पर गिराया गया हूँ-उपमालंकार ।
गाथा ५८-'चियासु महिसो विव'-चिता में भैंसे की भांति मैं जलाया गयाउपमालंकार । गाथा ५९–'बला संडासतुण्डेहि, लोहतुण्डेहि पखिहिं ।
विलुत्तो विलवन्तोऽहं, ढंकगिद्ध हिऽणम्तसो ॥' __'लोह के समान कठोर संडासी जैसी चोंच वाले ढंक और गीध पक्षियों द्वारा, मैं नोचा गया।' उपमा, छेकानुप्रास तथा यमक अलंकार है।
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