Book Title: Alankar Raghavam Part 01
Author(s): Yajneshwar Dikshit, T V Sathynarayana
Publisher: Oriental Research Institute

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Page 342
________________ अणीयसम् अदन्तु कुत्रापि अधिवसति अधुना पश्यत अनयन अनेक कोटी: अन्तस्त्वमेव अभयं विभीषणाय अभीष्टदान अमीभिराभूषित अयोध्यानगरी अ अयोध्या निखिला अलङ्कारो मुख्यो. अशेषपृथ्वी अहर्निशं आकारतः अलङ्कारराघवस्य- - प्रथमभागस्य उदाहरणपद्यानाम् अकारादिवची आ - पुट संख्या 217 269 259 221 286 257 31 122 26 223 270 75 19 23 271 236 - आघाय'ङ्ग आनम्य चापम् आपादयन्तीं आपूर्णशारद आभास शीतल आयातास आयाते कुम्भकर्णे आरक्षकम्मरण आरक्षकं भक्त आरभ्य जन्मा आरम्भवादात् आरामे विहरामो आरोप द्धनुषो आरोहत्युरु आर्ये राज्यरमे आस्थान्याम् आलोक्याध्वनि आह्लादयन्तीं संख्या 42 227 11 290 120 229 95 287 4 253 18 221 236 25 46 112 33 3

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