Book Title: Akalanka Granthtrayam
Author(s): Bhattalankardev, Mahendramuni
Publisher: ZZZ Unknown
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समर्पणम्
१-विभाति सद्वृत्तवपुर्गणेशप्रसादवर्णी गुरुरस्मदीयः ।
प्रसादतो यस्य निरस्य विघ्नं करोमि निघ्नं सकलेप्सितार्थम् ।।
२-मञ्जुलजैनहितैषीत्याख्यं पत्रं प्रचारयन् प्रथितः ।
पूर्णगवेषणमभितः सश्चितजैनेतिहासश्च ॥ नाथुरामप्रेमी सन्ततमुत्साहयन्नतिप्रेम्णा । न्यायकुमुदसम्पादनलग्नं चेतो ममाकार्षीत् ।।
३-श्रीजैनवाणीप्रणयी मुसद्दीलालः स्वधर्मस्य निषेवकोऽस्ति ।
यस्यानुकम्पाभिरहं चिराय स्याद्वादविद्यालयमाश्रयामि ।।
तेनोदाहृतनाम्नां सतां त्रयाणां करारविन्देषु । अमलाकलङ्कशास्त्रत्रय क्रमादप्यते मोदात् ।।
न्यायाचार्य महेन्द्रकुमारेण
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