Book Title: Agam ka Vyakhya Sahitya
Author(s): Udaychandra Jain
Publisher: Z_Umravkunvarji_Diksha_Swarna_Jayanti_Smruti_Granth_012035.pdf

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Page 11
________________ चतुर्थ खण्ड / १६८ मलयगिरि ने राजप्रश्नोय, जीवाभिगम, प्रज्ञापना, सूर्यप्रज्ञप्ति, जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति, चंद्रप्रज्ञप्ति आदि उपांग ग्रंथों पर टोकाएं लिखी हैं। आवश्यक, पिण्डनियुक्ति, अोधनियुक्ति, नंदीसूत्र, व्यवहारसूत्र, बृहत्कल्प आदि पर भी टीकाएं लिखी हैं। अभयदेव, देवसूरि, सुमतिसूरि आदि कई प्राचार्यों ने आगमों पर टीकाएं लिखीं। प्रागमों की टीकाओं का संक्षिप्त परिचय:अंग-आगम टीकाकार १. प्राचारांग प्राचार्यशीलांक, जिनहंस, २. सूत्रकृतांग " हर्षकुल ३. स्थानांग अभयदेवसूरि, नागर्षि ४. समवायांग ५. भगवतीसूत्र ६. ज्ञाताधर्मकथा ७. उपासकदशांग ८. अंतकृद्दशांग ९. अनुत्तरोपपातिकदशांग १०. प्रश्नव्याकरण ज्ञानविमल ११. विपाकसूत्र प्रद्युम्नसूरि उपांग-आगम टीकाकार १. प्रौपपातिक अभयदेवसूरि २. राजप्रश्नीय हरिभद्र, मलयगिरि, देवसूरि ३. जीवाभिगम मलयगिरि ४. प्रज्ञापना , हरिभद्र, कुलमंडल ५. सूर्यप्रज्ञप्ति ६ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति शांतिचंद्र, ब्रह्मर्षि ७. चंद्रप्रज्ञप्ति मलयगिरि ८. कल्पिका चंद्रसूरि, लाभश्री ९. कल्पावतंसिका १०. पुष्पिका ११. पुष्पचूलिका १२. वृष्णिदशा मूलसूत्र टीकाकार १. दशवकालिक हरिभद्र, समयसुन्दरगणि, तिलकाचार्य, सुमति सूरि, अपराजितसूरि, विनयहंस २. उत्तराध्ययन वादिवेतालसूरि, नेमिचंद्र, कमलसंयम, लक्ष्मीवल्लभ, भावविजय www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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