Book Title: Agam Suttani Satikam Part 26 Oghniryukti Pindniryukti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 421
________________ क्रम ५. ४०० [2] ૪૫ આગમ મૂળ તથા વિવરણનું શ્લોક પ્રમાણદર્શક કોષ્ટક) आगमसूत्रनाम । मूल वृत्ति-कर्ता __ वृत्ति श्लोक प्रमाण श्लोकप्रमाण १. आचार २५५४ शीलाङ्काचार्य १२००० २. सूत्रकृत २१०० शीलाङ्काचार्य १२८५० ३. स्थान ३७०० अभदेवसूरि १४२५० ४. समवाय १६६७ | अभयदेवसूरि ३५७५ भगवती १५७५१ | अभयदेवसूरि १८६१६ ६. | ज्ञाताधर्मकथा ५४५० अभयदेवसूरि ३८०० उपासकदशा ८१२ अभयदेवसूरि ८०० अन्तकृद्दशा ९०० | अभयदेवसूरि | ९. अनुत्तरोपपातिकदशा | १९२ | अभयदेवसूरि १०० |१०. प्रश्नव्याकरण १३०० | अभयदेवसूरि ५६३० |११. विपाकश्रुत १२५० | अभयदेवसूरि ९०० १२. औपपातिक ११६७ | अभयदेवसूरि ३१२५ १३. राजप्रश्निय २१२० मलयगिरिसूरि ३७०० [१४. जीवाजीवाभिगम ४७०० मलयगिरिसूरि १४००० १५. प्रज्ञापना ७७८७ | मलयगिरिसूरि १६००० १६. सूर्यप्रज्ञप्ति २२९६ | मलयगिरिसूरि ९००० १७. चन्द्रप्रज्ञप्ति २३०० | मलयगिरिसूरि ९१०० १८. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ४४५४ शान्तिचन्द्रउपाध्याय १८००० |१९थी निरयावलिका ११०० चन्द्रसूरि ६०० २३. | (पञ्च उपाङ्ग) २४. चतुःशरण ८० | विजयविमलयगणि (?) २०० आतुर प्रत्याख्यान १०० गुणरलसूरि (अवचूरि) (?) १५० २६. | महाप्रत्याख्यान १७६ आनन्दसागरसूरि (संस्कृतछाया) १७६ २७. भक्तपरिज्ञा २१५ आनन्दसागरसूरि (संस्कृतछाया) २१५ २८. तन्दुल वैचारिक ५०० विजयविमलगणि (?) ५०० २९. |संस्तारक १५५ गुणरल सूरि (अवचूरि) ११० ३०. गच्छाचार* १७५ विजयविमलगणि १५६० ३१. गणिविद्या १०५ आनन्दसागरसूरि (संस्कृतछाया) १०५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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