Book Title: Agam Suttani Satikam Part 06 Bhagvati
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 22
________________ शतकं-११, वर्गः:, उद्देशकः-१० १९ खेत्तलोएणंभंते! कतिविहे पन्नत्ते?, गोयमा! तिविहे पन्नत्ते, तंजहा अहोलोयखेत्तलोए तिरियलोयखेत्तलोए २ उड्डलोयखेत्तलोए ३। अहोलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! सत्तविहे पन्नत्ते, तंजहारयणप्पभापुढविअहेलोयखेत्तलोए जावअहेसत्तमापुढविअहोलोयखेत्तलए।तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते?, गोयमा! असंखेजविहे पन्नत्ते, तंजहा-जंबुद्दीवे तिरियखेत्तलोए जाव सयंभूरमणसमुद्दे तिरियलोयखेत्तलोए । उड्ढलोगखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते?, गोयमा ! पन्नरसविहे पन्नत्ते, तंजहा-सोहम्मकप्पउड्ढलोगखेत्तलोए जाव अच्चुयउड्डलोए गेवेज्जविमाणउडलोए अनुत्तरविमाण० ईसिंपन्भारपुढविउड्डलोगखेत्तलोए। अहोलोगखेत्तलोए णं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! तप्पागारसंठिए पन्नत्ते । तिरियलोयखेत्तलोएणंभंते! किंसंठिए पन्नत्ते?, गोयमा! झल्लरिसंठिए पन्नत्ते । उड्डलोयखेत्तलोयपुच्छा उड्डमुइंगाकारसंठिए पन्नत्ते । लोए गंभंते ! किंसंठिए पन्नत्ते?, गोयमा सुपइट्ठगसंठिए लोए पन्नत्ते, तंजहा-हेट्ठा विच्छिन्ने मझे संखित्ते जहा सत्तमसए पढमुद्देसए जाव अंतं करेंति। अलोएणं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते?, गोयमा! झुसिरगोलसंठिए पन्नत्ते । अहेलोगखत्तलोएणं भंते ! किं जीवा जीवदेसाजीवपएसा? एवंजह इंदा दिसा तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव अद्धासमए । तिरियलोयखेत्तलोएणं भंते ! किंजीवा०?, एवंचेव, एवं उड्डलोयखेत्तलोएवि, नवरं अरूवी छव्विहा अद्धासमओ नत्थि ।। लोएणं भंते ! किं जीवा जहां बितियसए अत्थिउद्देसए लोयागासे, नवरं अरूवी सत्तवि जाव. अहम्मत्थिकायस्स पएसा नो आगासस्थिकाये आगासत्थिकायस्स देसे आगासस्थिकायपएसा अद्धासमए सेसंतं चेव ।। अलोए णं भंते ! किं जीवा०? एवं जहा अस्थिकायउद्देसए अलोयागासे तहेव निरवसेसं जाव अनंतभागूणे। . ___ अहेलोगखेत्तलोगस्स णं भंते ! एगंमि आगासपएसे किं जीवा जीवदेसा जीवप्पएसा अजीवा अजीवदेसा अजीवपएसा?, गोयमा! नोजीवा जीवदेसाविजीवपएसा विअजीवावि अजीवदेसाविअजीवपएसा वि, जे जीवदेसाते नियमा एगिदियदेसा १ अहवा एगिदियदेसाय बेइंदियस्स देसे २ अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा ३ एवं मज्झिल्लविरहिओ जाव अनिदिएसुजाव अहवा एगिदियदेसा यअनिंदियदेसाय,जेजीवपएसाते नियमा एगिदियपएसा १ अहवा एगिदियपएसा य बेंदियस्स पएसा २ अहवा एगिदियपएसा य बेइंदियाण य पसा ३ एवं आइल्लविरहिओ जाव पंचिंदिएसु अणिदिएसु तियभंगो, जे अजीवा ते दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-रूवी अजीवा य अरूवी अजीवा य, रूवी तहेव,जे अरूवी अजीवा ते पंचविहा पन्नत्ता, तंजहा-नोधम्मस्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे १ धम्मत्थिकायस्सपएसे २ एवं अहन्थिकायस्सवि ४ अद्धासमए ५। तिरियलोगखेत्तलोगस्स णं भंते ! एगंभि आगासपएसे किं जीवा० ?, एवं जहा अहोलोगखेत्तलोगस्स तहेव, एवं उड्डलोगखेत्तलोगस्सवि, नवरं अद्धासमओ नत्थि, अरूवी चउव्विहा । लोगस्स जहा अहेलोगखेत्तलोगस्स एगमि आगासपएसे ।। अलोगस्स णं भंते! एगमिआगासपएसेपुच्छा, गोयमा! नोजीवानोजीवदेसातंचेवजाव अनंतेहिं अगुरुयलहुयगुणेहिं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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